अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक फेसबुक पटल पर “एक शाम, असम के नाम” कवि सम्मेलन का सवाई माधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ। कवि सम्मेलन में सभी ने एक से बढ़कर एक कविताएं प्रस्तुत की। प्रख्यात पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि सम्मेलन में गुवाहाटी से प्रज्ञा माया शर्मा, मंजुलता शर्मा, मंजुल, पाठशाला से प्रतिभा शर्मा, सवाईमाधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी और गाजियाबाद उत्तरप्रदेश से प्रज्ञान पुरुष पण्डित सुरेश नीरव ने शानदार काव्य पाठ किया। कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया। डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
प्रज्ञा माया शर्मा द्वारा प्रस्तुत रचना : –
रुक्मणि पूछ रही कान्हा से, क्या कमी है मेरे अर्पण में।
ऐसा क्या जो दे नहीं पाई, सच्चे प्रेम समर्पण में।
मंजुलता शर्मा ‘मंजुल’ द्वारा प्रस्तुत रचना :-
नाराजगियां हैं तो जताया करो, खूबियां गर हैं तो बताया करो, पसंदगारों से परवाह की चाहत होना लाज़मी है, गर वास्ता है ‘मंजुल’ से,चंद लफ्ज सुनाया करो।
थोड़ा-सा अना भी जरूरी है इस बेअदब मिजाज पर, खुदगरजी ना सही पर खुदकरम दुनिया के रिवाज पर।
शिकवों और दुआओं में जब एक ही शख़्स हो, समझ लो प्रेम है वहां इब़ादत के मुकाम पर।
कहानियां तो और भी होंगी बेमिसाल, पर ‘मंजुल’- सी निष्काम शिद्दत कहां है इस मतलबी मकाम पर।
डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत दोहे :-
सरित समर्पण भाव है, सागर अहं विकार।
मीठे जल में प्रेम के, दंभ भर रहा क्षार।।
सागर से मिल सरित का, मधुजल खारा होय।
बादल की मध्यस्तता से, फिर मीठा होय।।
सागर से मिल सरित ने, खोया निज अस्तित्व।
सागर जैसा ही हुआ, उसका भी व्यक्तित्व।।