बौंली क्षेत्र के डूंगर पिछवाड ग्रामीण क्षेत्र में खौफ का पर्याय बना पैंथर आखिर पिंजरे में कैद हो ही गया। पैंथर को पिंजरे में कैद करने के लिए वन विभाग की टीम दो दिवस से बड़ी मशक्कत कर रही थी। बड़ी मशक्कत के बाद पैंथर को पिंजरे में कैद करने का रेस्क्यू अभियान शुक्रवार मध्यरात्रि को पूरा हुआ।
वन विभाग बौंली के फॉरेस्टर लक्ष्मीकांत जैमन ने बताया कि डूंगर पिछवाड़ क्षेत्र के गांवों में विगत पांच छह दिवस से पैंथर के द्वारा प्रतिदिन गांव के बाडों में घुसकर पशुओं को अपना निवाला बनाया जा रहा था। इसको लेकर ग्रामीणों में खौफ था एवं लोग भयभीत बने हुए थे। ग्रामीणों की सूचना पर रेंजर दशरथ सिंह के नेतृत्व में वन विभाग की टीम के द्वारा गुरुवार शाम को मंझेवला गांव में पैंथर को कैद करने के लिए पिंजरा लगा कर रेस्क्यू अभियान शुरू किया गया। लेकिन गुरुवार की पूरी रात पैंथर पिंजरे के आस पास नहीं आया। शुक्रवार रात को टीम ने फिर अपना रेस्क्यू अभियान शुरू किया तो मध्यरात्रि के बाद पैंथर पिंजरे में कैद हो गया।
पैंथर के पिंजरे में कैद होने की जानकारी ग्रामीणों को मिलते ही ग्रामीणों में खुशी की लहर फैल गई।
फॉरेस्टर जैमन ने बताया कि रेस्क्यू में कैद किए गए पैंथर को बौंली रेंज कार्यालय लाया गया जहां से उसे उच्चाधिकारियों के आदेश पर रणथम्भौर टाइगर प्रोजेक्ट में ले जाकर वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। रेस्क्यू अभियान की टीम में रेंजर व फॉरेस्टर के साथ वन रक्षक भूपेंद्र सिंह वनकर्मी प्रहलाद सिंह, मोहन सैन, केदार शर्मा, रामचरण बैरवा, शंकर सिंह, बद्री मीणा सहित कई ग्रामीण सहयोगी शामिल थे।