शासन प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की गंभीर उदासीनता से उपखंड मुख्यालय के वाशिंदे लंबे समय से बिजली व पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।
लोगों का कहना है कि क्षेत्र की विधायक भले ही विधानसभा में प्रश्न उठा रही हो लेकिन मुख्यालय पर बिजली व पानी की समस्या का कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। दिन में कई मर्तबा बिजली का गुल होना व जब चाहे आना जाना आम बात हो गई है। वहीं एक दिवस के अंतराल की जलापूर्ति दो दिवस के अंतराल पर भी समय से उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रही। भरी सर्दी में लोग पेयजल को तरसते रहे व अब गर्मी की दस्तक के साथ ही कस्बे की पेयजल आपूर्ति ओर ज्यादा गड़बड़ाने लगी है। अब तक जैसे तैसे कभी एक दिवस पर तो कभी दो दिवस के अंतराल पर 10 से 15 मिनट की जलापूर्ति मिल रही थी लेकिन तीन सप्ताह से तो हालात बहुत बिगड़े हुए हैं।
लोगों ने बताया कि इस बारे में जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों से सम्पर्क करने पर वे या तो फोन नहीं उठाते व भूलवश उठा भी ले तो सीधा बीसलपुर से जल आपूर्ति में कटौती का राग अलापना शुरू कर देते हैं। ऐसी स्थिति में जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रही है कि यहां आमजन की सुनने वाला कोई नहीं है। ना कोई जनप्रतिनिधि ध्यान दे रहा व न ही अधिकारियों को यहां की बिजली पानी की समस्या के समाधान की कोई चिंता।
गौरतलब है कि कस्बे में कहीं भी मीठे पानी के पेयजल स्त्रोत नहीं होने से लोग अपनी प्यास बुझाने के लिए केवल नलों के पानी पर ही आश्रित हैं जो उन्हें पर्याप्त रूप से समय से नहीं मिल रहा। मुख्यालय पर पहले विभाग दो दिवस के अंतराल पर आधा घंटे की जलापूर्ति करता था। अब एक दिवस के अंतराल पर मात्र 20 मिनट की जलापूर्ति करने का दावा करता है लेकिन करीब डेढ़ माह से एक दिवस के अंतराल की जलापूर्ति पूरी तरह लड़खडाई हुई है। वर्तमान में उपभोक्ताओं को दो दिवस के अंतराल पर तीस मिनट की जगह मात्र 15 मिनट का पेयजल मिल रहा है उसमें भी समय निर्धारित नहीं होता। नलों से पानी कब आजाए और कब चले जाए लोग इस चक्कर में वही पहले की तरह घर नहीं छोड़ पाते।
कस्बे की इस गंभीर पेयजल समस्या को लेकर सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च करके बौंली को बीसलपुर पेयजल परियोजना से जोड़ा लेकिन आज वही पहले की तरह टैंकर जलापूर्ति वाले पुराने हालात पैदा हो गए हैं। यहां की बिगड़ी जलापूर्ति को सुधारने के नाम पर विभाग के अधिकारियों ने पहले तो बिछाई गई पाइप लाइनों में तकनीक का राग अलापा जिससे टंकिया बनने के बाद भी उपभोक्ताओं को एक साथ जलापूर्ति नहीं हो पाई। विभाग वही बूस्टिंगों के जरिए जलापूर्ति करता रहा व कर रहा है। ऐसे में जब लोगों को पेयजल नहीं मिला तो विभाग ने फिर पाइपलाइन बिछाने के लिए विधायक से बजट पास करवाया तथा दोबारा पाईप लाइन डाली गई। लेकिन उसके बाद भी हालात जस के तस हैं। अब विभाग के अधिकारी आगे से पेयजल की स्वीकृत मात्रा में से कटौती होने का राग अलापने लग गए हैं।
आखिरकार इन सब के पीछे क्या कारण है। सरकार के करोड़ों रुपए की बर्बादी के बावजूद बौंली के लोगों की प्यास नहीं बुझ पा रही लेकिन इन सब को कोई देखने वाला नहीं है।
ऐसे ही हालात विद्युत निगम के बने हुए हैं जिसमें निगम द्वारा मरम्मत और मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद दिन में पचासों मर्तबा लाइटों का गुल होना आम हो चला है। अब गर्मी की शुरुआत होते ही सुबह जल आपूर्ति के समय बार-बार की जाने वाली कटौती तो उपभोक्ताओं को बहुत ज्यादा अखरने लगी है। सायंकाल के समय में कई बार बिजली की आंख मिचैली होना आम हो चला है। मुख्यालय पर बिजली और पानी के बिगड़े हालातों से आमजन बेहद दुखी है।
आमजन ने सरकार से इन हालातों को ठीक कर निर्धारित समय से पेयजल मुहैया कराने व बराबर विद्युत आपूर्ति कराने की मांग की है।