एनीमिया मुक्त राजस्थान कार्यक्रम के तहत बच्चों, किशोर-किशोरियों, प्रजनन उम्र की महिलाओं, गर्भवती महिलाओं तथा धात्री माताओं में अनीमिया की दर कम करने के लिए जून माह के प्रथम मंगलवार 7 जून को जिले के सभी चिकित्सा संस्थानों व आंगनवाडी केंद्रों पर शक्ति दिवस का आयोजन किया गया। जिले के सभी जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, हैल्थ वेलनेस सेंटर पर नियमित ओपीडी के अलावा मरीजों के हिमोग्लोबीन की जांच और उपचार किया गया। शक्ति दिवस का जिला स्तरीय उद्घाटन जिला मुख्यालय स्थित आंगनवाडी केंद्र पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. तेजराम मीना ने किया।
वहां उन्होंने मौजूद सभी महिलाओं, गर्भवतियों, धात्री माताओं, किशोरियों को शक्ति दिवस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि शक्ति दिवस का मुख्य उदे्श्य समुदाय व लाभार्थियों में अनीमिया नियंत्रण के लिए स्क्रीनिंग, हिमोग्लोबीन की जांच, उपचार तथा एनीमिया के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। आयरन स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार आवश्यक है और इसकी कमी होने से किस प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। कार्यक्रम में महिलाओं, गर्भवतियों, धात्री माताओं, किशोरियों का हीमोग्लोबिन जांच कर आयरन की दवाएं दी गई। इस अवसर पर जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधीन्द्र शर्मा, पार्षद रामसहाय, जिला आशा समन्वयक विमलेश शर्मा, जिला आईईसी समन्वयक प्रियंका दीक्षित, पब्लिक हैल्थ मैनेजर अरविंद गौतम, एएनएम, आशा मौजूद रहे।
जिले के जिला स्तरीय, ब्लाॅक स्तरीय व सैक्टर स्तरीय अधिकारियों द्वारा विभिन्न संस्थानों पर आयोजित किए गए शक्ति दिवस की माॅनिटरिंग की गई। सीएमएचओ, डीपीएम, डीएसी, डीआईईसी ने छारोदा, रामसिंहपुरा, खिलचीपुर, शेरपुर के सत्रों का निरीक्षण किया, दवाओं की उपलब्धता की जांच, सभी आयुवर्गों की उपस्थिति की जांच की। साथ ही आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए। शक्ति दिवस के अवसर पर 6 माह से 59 माह तक के बच्चों, 5 से 9 वर्ष तक के स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों, 10 से 19 वर्ष की स्कूल नहीं जाने वाली किशोरी बालिकाओं, 20 से 24 वर्ष की विवाहित महिलाओं, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री महिलाओं को आशा द्वारा मोबिलाईज कर शक्ति दिवस के दिन आंगनबाड़ी केन्द्र पर लाया गया।
उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर एएनएम द्वारा समस्त लक्षित लाभार्थियों की एनीमिया की स्क्रीनिंग की गई। आशा द्वारा 6 माह से 59 माह तक के बच्चों को 1 एमएल आईएफए सिरप पिलाई गई। 5 से 9 वर्ष के स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों का आईएफए की गुलाबी गोली खिलाई गई। 10 से 19 वर्ष तक की स्कूल नहीं जाने वाली समस्त किशोरी बालिकाओं को आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा आईएफए की नीली गोली खिलाई गई।