निरंकारी सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित 74वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन गत रविवार की शाम को हुए सत्संग समारोह को सम्बोधित करते हुए सत्गुरु माता ने कहा परमात्मा यदि हमारा अपना है तो इसका रचा हुआ संसार भी हमारा अपना ही है। यह परमात्मा सबका आधार है। हर एक में और ब्रह्मांड के कण-कण में इसी का वास है।
ऐसा भाव जब हृदय में बस जाता है तब किसी अन्य वस्तु अथवा मनुष्य में फिर कोई फर्क नज़र नहीं आता। अतः हम यह कह सकते हैं कि समस्त संसार एक परिवार की भावना जीवन में धारण करने से ही उन्नति सम्भव है। जिसका आनंद मिशन की वेबसाईट एवं साधना टी. वी. चैनल के माध्यम से विश्वभर के निरंकारी श्रद्धालु भक्त घर बैठे ही प्राप्त कर रहे हैं।
सत्गुरु माता जी ने प्रतिपादन किया कि यदि हम आध्यात्मिकता के दृष्टिकोण से देखें तो वास्तविक रूप में सबका आधार यह परमात्मा ही है जिस पर विश्वास भक्ति की बुनियाद है। इसीलिए अपनत्व के भाव को धारण करके हम सब एक दूसरे के साथ सद्भावपूर्ण व्यवहार करें। हर एक के प्रति मन में सदैव प्रेम की ही भावना बनीं रहे, नफरत की नहीं। यदि हम किसी के लिए कुछ कर भी रहे हैं तब उसमें सेवा का भाव हो, का नहीं।
परमात्मा पर विश्वास की बात को और अधिक स्पष्ट करते हुए सत्गुरु माता जी ने कहा कि जब हम इस परम सत्ता को ब्रह्मज्ञान द्वारा जान लेते हैं तो फिर इस पर विश्वास करने से ही हमारी भक्ति सही अर्थों में और सुदृढ़ होती है। उसके उपरान्त फिर जीवन में घटित होने वाले विभिन्न प्रकार के उतार-चढ़ावों के कारण हमारा मन विचलित नहीं होता। यह दृढ़ता हमें सत्संग, सेवा और सुमिरण के माध्यम से प्राप्त होती है। इसके पूर्व सायं 5.00 बजे से चल रहे सत्संग समारोह में देश-विदेश से भाग ले रहे वक्ता, गीतकार एवं कवियों ने अपने अपने व्याख्यान, गीत एवं कविताओं के माध्यम से समागम के मुख्य विषय “विश्वास, भक्ति और आनंद’ पर रोशनी ड़ाली।