सेवानिवृत्त बिजली कर्मचारियों एवं विधवाओं के लिए पेंशन एक टेंशन बन गई है। सीपीएफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति के क्षेत्रीय प्रभारी जेपी नागर ने बताया कि मुख्यमंत्री ने असहाय बिजली कर्मचारियों, विधवाओं (जो दो जून की रोटी के मोहताज थे) की सामाजिक सुरक्षा की भावना से, समिति द्वारा प्रस्तुत दया याचिका के मद्देनजर पेंशन विकल्प खोलने की घोषणा की थी।
परंतु वित्त विभाग ने 21 फरवरी और 20 अप्रैल के क्रियान्विति आदेशों से स्पष्ट कर दिया है कि मोटा पैसा (15 से 30 लाख) जमा करने पर ही पेंशन लेकर कर्मचारी विधवाएं सामाजिक सुरक्षा प्राप्त कर सकते हैं। नागर ने बताया कि वित्त विभाग के आदेशों के अनुसार कर्मचारी एवं उनकी विधवाएं सेवानिवृति से नियोक्ता अंशदान का पैसा 12 प्रतिशत ब्याज के साथ एकमुस्त जमा करा कर तथा नियोक्ता का ईपीएफओ में जमा पैसा भी 12 प्रतिशत ब्याज के साथ एकमुस्त जमा करना पड़ेगा। तभी विकल्प स्वीकार किया जाएगा।
इस प्रकार सिर्फ वही कर्मचारी इसका फायदा ले पाएंगे जो अभी सेवा में हैं या जो पूर्व में सेवानिवृत हुए हैं इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों ने अपना पैसा ड्रॉ नहीं किया है। इस प्रकार जिन कर्मचारियों व विधवाओं के लिए मुख्यमंत्री ने जिस सामाजिक सुरक्षा की भावना के तहत पुनः पेंशन विकल्प खोले थे सारे के सारे कर्मचारी पुनः, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा से वंचित हो गए हैं। जिनमें लगभग 400 विधवाएं और 1500 कर्मचारी दयनीय स्थिति में है। जो लंबे समय से आस लगाकर बैठे थे।
समिति ने मुख्यमंत्री से निवेदन कर मांग की है कि समिति द्वारा दो वर्ष पूर्व दिए गए प्रस्ताव कि कर्मचारी की सेवानिवृति से 31 मार्च 2023 तक पेंशन की काल्पनिक गणना कर, नियोक्ता के अंशदान में समायोजन कर लिया जाए। कर्मचारी पर निकले जमा करा लिया जावे और एक अप्रैल 2023 से पेंशन दे दी जावे। जिससे एक ओर मुख्यमंत्री की मानवीय दृष्टिकोण से सामाजिक सुरक्षा की भावना का पालन हो वहीं दूसरी ओर जरूरतमंदों को दो जून की रोटी मिले।