सरकार चाहे सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए प्रवेश उत्सव व अन्य कई प्रकार की योजनाओं का संचालन कर रही हो। लेकिन हकीकत में सरकारी योजनाएं व विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल में सुविधाओं के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। आलम यह है कि सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्षों का अभाव है। वहीं प्रयोगशाला व अन्य सुविधाओं से सभी विद्यार्थी अब तक वंचित हैं।
राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय शेरपुर में अध्ययनरत विद्यार्थी सालों से विद्यालय में बैठने के लिए पर्याप्त कक्षा-कक्षों के निर्माण का मांग कर रहे हैं। लेकिन कक्षा-कक्षों का निर्माण नहीं होने से विद्यार्थियों का अध्ययन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में सोमवार को जिले में जहां एक और अन्नपूर्णा दूध योजना के शुभारंभ का कार्यक्रम मनाया जा रहा था, वहीं शेरपुर के आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थी कक्षा-कक्षों के निर्माण की मांग को लेकर तालाबंदी कर रहे थे।
विद्यार्थियों ने विद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया और शेरपुर-कुंडेरा मार्ग पर जाम लगा दिया। इससे मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गई और वाहन चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
इस संबंध में प्रधानाचार्य ने उच्च शिक्षा अधिकारियों को भी सूचित किया।
सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश मीना सीट ने बताया कि यहां पूर्व में भी कई बार विद्यालय भवन को अन्य भवन में शिफ्ट करने की मांग की जा चुकी है। लेकिन इस बारे में विचार तक नहीं किया गया। आज इससे परेशान होकर विद्यार्थियों ने स्कूल पर ताला जड़ दिया। इस बारे में विद्यार्थियों का कहना है कि जब तक विद्यालय में कक्षा कक्षो के निर्माण की घोषणा या विद्यालय को अन्यत्र दूसरी बिल्डिंग में शिफ्ट नहीं किया जाता प्रदर्शन जारी रहेगा और विद्यालय में टाला लगा रहेगा। हालांकि पुलिस प्रशासन, शिक्षा विभाग के अधिकारी और तहसीलदार मौके पर पहुंचे तथा समझाइश के बाद ताला खुलवाया गया।
अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी कैलाश गुप्ता से बातचीत के दौरान समझ में आया कि 300 से अधिक छात्र-छात्राएं होने के बावजूद स्कूल में केवल 5 कमरे हैं। ऐसे में वे कहां पर बैठे और क्या पढ़ाई करें, यह समझ में नहीं आ रहा है। वहीं स्कूल प्रशासन भी मामले में पूरी तरह परेशान दिख रहा है स्कूल के प्रधानाध्यापक निखिल शर्मा का कहना है कि कई बाहर सफोकेशन के चलते छात्रों को भारी परेशानी होती है। कुछ दिन पहले ही एक छात्र बेहोश भी हो गया था। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द स्कूल में प्रवेशित बच्चों को ध्यान में रखते हुए एक नवीन भवन बनवाया जाए।
हालांकि तहसीलदार मनीराम का कहना था कि स्कूल के लिए लगभग डेढ़ हेक्टेयर जमीन आवंटित की जा चुकी है। लेकिन उस पर अतिक्रमण हो रहा है। इसलिए स्कूल प्रशासन कब्जा नहीं ले पाया। तहसीलदार ने स्कूल के लिए आवंटित भूमि का मौका मुआयना करवाया और उसके सीमा ज्ञान कराने के आदेश दिए। साथ ही उन्होंने गिरदावर एवं पटवारी को कहा कि स्कूल की जमीन से जो भी अतिक्रमण हो रहे हैं उनको तुरंत प्रभाव से हटवाया जाए।
इस दौरान प्रशासन ने एसडीएमसी एवं गांव के लोगों से भी मामले में जानकारी जुटाई। ग्रामीणों का कहना था कि स्कूल के पास ही रणथम्भौर सेविका को राज्य सरकार की ओर से जमीन दी गई थी। जिसमें अस्पताल संचालन किया जाना था। जानकारी के अनुसार वर्तमान में उस बिल्डिंग में चिकित्सालय नहीं चलाया जा रहा है तो कुछ समय के लिए उस बिल्डिंग में छात्रों को पढ़ने के लिए रखा जा सकता है। हालांकि तहसीलदार ने मामले को कलेक्टर स्तर का बताया और ग्रामीणों से कहा कि आप सब लोग उस बिल्डिंग के मामले में कलेक्टर से संपर्क करें।
छात्र-छात्राओं द्वारा लगातार किए जा रहे प्रदर्शन के बाद, अब देखने वाली बात यह होगी कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन किस तरह से उनकी समस्याओं को हल कर आ पाता है?