उपखंड मुख्यालय बौंली के सदर बाजार मे संचालित फल एवं सब्जी मंडी आज भी आदिकालीन स्थिति में बनी हुई है।
आजादी के पूर्व से संचालित मंडी मे आज भी कोई सुविधा नहीं है, छत तो दूर की बात मंडी मे किसानों के बैठने के लिए छाया के वैकल्पिक इंतजाम तक नहीं हैं।
उपखंड के विभिन्न गांवों से इन दिनो ट्रैक्टर और जुगाड़ों में किसानों द्वारा तरबूज-खरबूजे व ककड़ी बहुतायत में लाई जा रही है। सुचारू व्यवस्था न होने के कारण सारा माल खुले मे बिखरा हुआ पड़ा रहता है वहीं कई बार मौसमी विसंगतियो के चलते खराब भी हो जाता है। खुदरा विक्रय मूल्य की तुलना में किसानों को केवल 25 फीसदी कीमत प्राप्त होती है, किसानों के हाथ लगती है तो बस मायूसी!
पंद्रह से बीस रूपये किलो बिकने वाला तरबूज मंडी में पांच रूपये किलो बिक रहा है,आखिर इतना अंतर क्यो?
कैसे जिएगा धरती पुत्र?
एसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अभी तक पहेली बने हुए हैं।