राज्य में लोगों को सरकारी एवं निजी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने वाली राज्य सरकार की महत्वपूर्ण योजना मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का दायरा अब और बढ़ा दिया गया है। पहले जहां इस योजना का लाभ उठाने के लिए पॉलिसी के एक्टिव होने की अनिवार्यता थी, वहीं अब आपात स्थिति में पॉलिसी एक्टिव नहीं होने की स्थिति में योजना का लाभ देने के लिए जिला कलेक्टर को अधिकृत किया गया है।
मुख्यमंत्री द्वारा बजट घोषणा के दौरान इस योजना के संबंध में यह घोषणा की गई थी की कोई भी असहाय अथवा निराश्रित परिवार इस योजना के लाभ से वंचित न रह जाए यह सुनिश्चित करने के लिये जिला कलेक्टरों को अधिकृत किया गया है। इसमें ऐसे मरीज जिनकी चिरंजीवी पॉलिसी एक्टिव न होने पर भी उनका नि:शुल्क उपचार करने के लिए संबंधित चिकित्सालय को निर्देशित कर सकेंगे। नई प्रक्रिया लागू होने से जरूरतमंद लोगों को पॉलिसी के अभाव में योजना के अंतर्गत ना तो इलाज से महरूम होना पड़ेगा और ना ही इलाज के पैसे चुकाने पड़ेंगे।
यह रहेगी प्रक्रिया:- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तेजराम मीना ने बताया की ऐसे व्यक्ति जिन्होंने योजना में पंजीकरण तो करवा लिया लेकिन 3 माह पूर्ण नहीं होने की वजह से पॉलिसी एक्टिव नहीं हुई है, ऐसे जरूरतमंद मरीजों को योजना के अंतर्गत नि:शुल्क उपचार प्रदान करने के लिए निजी अस्पतालों को सॉफ्टवेयर के माध्यम से जिला कलेक्टर अथवा उनके द्वारा नामित अधिकारी की एसएसओ आईडी, संबंध अस्पतालों तथा जिला अस्पताल के संबध में यह आवेदन अस्पताल के अधीक्षक, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी अथवा प्रभारी अधिकारी की एसएसओ आईडी पर किया जाएगा। प्राप्त आवेदनों को जिला कलेक्टर या सक्षम अधिकारी ऑनलाईन माध्यम से पोर्टल पर अप्रूव अथवा निरस्त कर सकेंगे।
10 लाख रूपए तक के बीमा कवर का लाभ:- 1 अप्रैल से इस योजना के अंतर्गत बीमा कवर राशि को भी बढ़ाकर 10 लाख रूपए कर दिया गया है। इसके साथ ही कॉकलियर, इंप्लांट, बोन मैरों, ट्रांसप्लांट, आर्गन ट्रांसप्लांट जैसे महंगे इलाज को भी इस योजना में शामिल कर लोगो की जेब पर पड़ने वाले भार को कम करने के लिए सरकार द्वारा यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।