दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी आलनपुर में आचार्य सुकुमालनंदी ससंघ का 26वां वर्षायोग धर्मप्रभावना पूर्वक चल रहा है। आचार्य ने दैनिक प्रवचन के दौरान सारगर्भित शब्दों एवं सरल भाषा में श्रावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि दुनिया में लोगों को यह गलत फहमी रहती है कि ईश्वर ही सबको सुखी-दुःखी, गरीब-अमीर बनाता है जबकि यह धारणा मिथ्या है। ईश्वर तो वीतरागी होता है वह न तो किसी को दुःखी बनाता है न सुखी बनाता है। हकीकत तो यह है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने द्वारा किये गये कर्मों का फल स्वयं भोगता है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। कर्म सबसे बलवान होता है। कर्म ही सबको सुखी-दुःखी बनाता है।
उन्होने कहा कि सच्चे धर्म की यही शिक्षा है कि जो भी संकट आये स्वयं का पूर्वोपार्जित कर्म समझकर स्वीकार करना चाहिये। साथ ही पुण्य के बिना कोई भी उपलब्धि हासिल नहीं होती है। सुख, सौभाग्य व सम्पदा पुण्य के सदभाव से प्राप्त होती है। व्यक्ति यदि सुखी बनना चाहता है तो मूक-बधिर, अनाथ, पशु-पक्षियों की भूख को शांत करना चाहिए। ताकि परोपकार के साथ-साथ उसका भी उसके ऊपर उपकार हो सके। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे पुण्य कार्यों से व्यक्ति का जीवन सफल बन सकता है।
इससे पूर्व धर्मसभा के मंच पर विराजित ऐलक सुलोकनंदी ने भी प्रवचन करते हुए कहा कि मानव जीवन की शुरूआत धर्म-कर्म-नियम से प्रारम्भ होती है। दान, धर्म के बिना यह जीवन खाली खोका है और धर्म-कर्म के लिए मनुष्य भव ही अनुपम मौका है। मुनि सुनयनंदी ने लोगों को धर्म की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
वर्षायोग समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि धर्मसभा का शुभारम्भ नरेन्द्र कुमार, अशोक जैन ग्वालीयर एवं प्रमोद-माया बड़कुल खुरई सागर (म.प्र.) ने भगवान महावीर की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया। वहीं वर्षायोग समिति के सदस्य राजेश बाकलीवाल ने धर्मसभा के मंच का संचालन करने के साथ ही मंगलाचरण के रुप में भजन की शानदार प्रस्तुति दी।
जैन ने बताया कि श्रीमाल जैन जागृति संस्था के तत्वावधान में साहूनगर स्थित सहस्त्रफणी पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में एवं भसावड़ी गोठ के तत्वावधान में शहर स्थित सुपाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन भसावड़ियान मंदिर में णमोकार महामंत्र का जाप, 48 दीपकों के साथ रिद्धि-सिद्धि मंत्रों से भक्तामर स्त्रोत का पाठ किया।