Saturday , 18 May 2024
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भारत को अक्षुण्ण बनाये रखने हेतु हमें हमारा गौरव एवं स्वाभिमान जागृत रखना होगा

रणथम्भौर रोड़ स्थित उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मन्दिर, विवेकानन्दपुरम में विद्या भारती राजस्थान द्वारा क्षेत्रीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग के पंचम दिवस का शुभारम्भ मंचासीन पदाधिकारियों ने माँ सरस्वती और माँ भारती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया। जिला निरीक्षक व प्रचार-प्रसार प्रमुख महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि इस प्रशिक्षण वर्ग में पूरे राजस्थान से 88 प्रशिक्षणार्थियों को विषय विशेषज्ञों तथा प्रशिक्षण टोली के कार्यकर्ताओं द्वारा व्यस्त दिनचर्या में प्रधानाचार्य का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी श्रृंखला में विद्या भारती अखिल भारतीय सहमंत्री डॉ. संतोषानन्द ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम भारतीयता की स्थापना के लिए कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रभाव की कमी के कारण हम गुलामी का जीवन रहे थे। शिक्षा ज्ञान की धारा है जिसे सही दिशा में ले जाने एवं सतत् चलाने की जिम्मेदारी विद्या भारती की हैं। हमारे देश के ज्ञान की ख्याति इतनी समृद्ध हैं कि वह पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकता हैं। दुनिया कपड़े पहनना नहीं जानती थी, तब हमारे पास नालन्दा व तक्षशिला जैसे बडे़ विश्वविद्यालय थे। हमें हमारे कार्य के माध्यम से हमारे विचार को समाज के प्रत्येक वर्ग तक ले जाना हैं।

 

To keep India intact, we have to keep our pride and self-respect awake

 

शिक्षा के दो रूप हैं- तार्किक और व्यावहारिक। व्यवहारिक पक्ष 21वीं सदी का पक्ष हैं और तार्किक पक्ष शिक्षा के माध्यम से अपने सिद्धांतों को समाज तक पहुंचाने का पक्ष हैं।नरेन्द्रनाथ से विवेकानंद बनने की क्रिया ही ज्ञान हैं। यह भारत की व्यवस्था है, भारत का शिक्षा दर्शन हैं। ज्ञान के प्रति हमारी शिक्षा का महत्त्व अद्वितीय हैं। ज्ञान की निष्ठा को बनाए रखना हैं। ज्ञान खंडित होने पर देश पर संकट आया हैं। देश खंडित हुआ हैं।शिक्षा का सम्बंध जीवन के साथ अनवरत है जो अंतिम समय तक साथ रहती हैं। शिक्षा ग्रहण करने की कोई आयु नहीं होती हैं। आज की शिक्षा व्यावसायिक शिक्षा हैं। जो उद्देश्य परक नहीं हैं उसका समाज में कोई योगदान नहीं हैं। वैश्विक महामारी में भी भारतीय चिंतन एवं दर्शन के अनुसार चलने वाले समाज में कम क्षति हुई हैं। हमारे द्वारा चराचर जगत के कल्याण की कामना की जाती हैं। राष्ट्र के परम वैभव के लिए राष्ट्र का भौतिक विकास ही नहीं, शांति एवं सहिष्णुता का भाव भी होना चाहिये। राष्ट्र को बनाये रखने के लिए उस राष्ट्र का सांस्कृतिक गौरव एवं स्वाभिमान जाग्रत रहना चाहिये। व्यक्ति के निर्माण के माध्यम से राष्ट्र का पुनः र्निर्माण हो सकता हैं। आज की शिक्षा व्यवस्था व्यक्ति केंन्द्रित हैं। जिसे समाज केन्द्रित करना हैं। विद्या भारती की सोच सर्वांगीण विकास की हैं। व्यष्टि से समष्टि तक का विकास हो, यह विद्या भारती चाहती हैं। हम सभी को संकल्पित होकर शिक्षा के द्वारा समाज परिवर्तन करना चाहिए। इस दौरान विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष प्रो. भरतराम कुम्हार, क्षेत्रीय सह संगठन मंत्री गोविन्द कुमार, जयपुर प्रान्त सचिव लक्ष्मण सिंह राठौड़, प्रान्त निरीक्षक अरुण कुमार दुबे, शिशुवाटिका प्रमुख गोपाल पारीक, चित्तौड़ प्रान्त निरीक्षक नवीन झा, जोधपुर प्रान्त निरीक्षक गंगा विष्णु, जिला व्यवस्थापक कानसिंह सोलंकी, जिला सचिव जगदीश प्रसाद शर्मा, मुकुट बिहारी शर्मा, धर्मेन्द्र कुमार, जिला शिशुवाटिका प्रमुख चिरंजीलाल कौशल, जिला सेवा प्रमुख महेन्द्र वर्मा, संकुल प्रमुख जयसिंह लोधा, प्रधानाचार्य गिर्राज शर्मा, लक्ष्मीकांत शर्मा आदि उपस्थित रहें।

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