Saturday , 30 November 2024

विज्ञान कवि सम्मेलन का हुआ वर्चुअल आयोजन

आदमी के आचरण का पाप ढो रहा है, वरदान था विज्ञान जो अभिशाप हो रहा है

अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित पटल पर एक विज्ञान कवि सम्मेलन का सवाई माधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ। इस विज्ञान कवि सम्मेलन में अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ रतलाम मध्य प्रदेश से सुविख्यात कवि यशपाल सिंह यश, गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से लब्ध प्रतिष्ठित कवियित्री मधु मिश्रा, दिल्ली से भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के परामर्शदाता डॉ. चंद्रमोहन नोटियाल, देवरिया उत्तर प्रदेश से लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार इंद्र कुमार दीक्षित, सवाई माधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी, नई दिल्ली से भारत सरकार के वैज्ञानिक कपिल त्रिपाठी और गाजियाबाद से संस्था के वैश्विक अध्यक्ष और पटल के समन्वयक ख्यातिनाम साहित्यकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव उपस्थित रहे। इस कवि सम्मेलन के मुख्य अतिथि भारत सरकार के विज्ञान प्रसार मंत्रालय में वैज्ञानिक (एफ) कपिल त्रिपाठी थे।

 

Virtual event of Science Poet Conference In Sawai Madhopur

 

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने की तथा संचालन डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया। कवि यशपाल सिंह यश ने कविता “कह रहे हैं आप पानी, मैं जिसे कहता बरफ है, सत्य थोड़ा आपकी और कुछ मेरी तरफ है” प्रस्तुत की। कवियित्री मधु मिश्रा ने कविता “हमें अपनी सेहत को बचाना होगा, संतुलित भोजन ही खाना होगा” प्रस्तुत की। चंद्र मोहन नोटियाल ने कविता “ढूंढता था गर्भ में ब्रह्मांड के, मैं भेद उसके। सूर्य, ग्रह, मंदाकिनी, निहारिका बिखरी पड़ी थीं।और सब भूला, न देखी चाह कर भी। मालिका झिलमिल गगन में जो जड़ी थीं।” प्रस्तुत की। इंद्र कुमार दीक्षित ने कविता “कहाँ कहाँ से आता जल सबका जीवन दाता जल।। सूरज की गरमी से तप कर वाष्प रूप में ऊपर जाता। घनीभूत हो बादल बनकर सागर की लहरों पर छाता।। और वनों के आकर्षण से बूंद बूंद बरसाता जल।। सबका जीवन दाता जल।।” प्रस्तुत की। डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने पर्यावरण संरक्षण पर कुछ दोहे “सब नदियों को हो गया, सूखे वाला रोग।

 

Virtual event of Science Poet Conference

 

जंगल जोगी हो गए, धरा भोगती भोग”, “अमृत दुग्ध धौला लिए, बहती गंगा धार। पर मानव की दुष्टता, उसमें भरे विकार।।”, “मरते को जो मुक्ति दे, ऐसा निर्मल नीर। वह भी मैला कर दिया, कौन हरे यह पीर।।” तथा “पाप – ताप सब तारती, गंगा बहती मौन। वह सबका हित साधती, उसका साधे कौन।।” प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि कपिल त्रिपाठी ने आम आदमी के जीवन में विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने कविता “आदमी के आचरण का पाप ढो रहा है, वरदान था विज्ञान जो अभिशाप हो रहा है।”, “मेरी ज़िन्दगी का दरख़्त जो संग हादसों के बड़ा हुआ, हुई अपने खून की बारिशें तो ये ज़ख्म दिल का हरा हुआ।” तथा “जिसकी अपने लिए कोई निष्ठा नहीं, उसकी कोई कहीं भी प्रतिष्ठा नहीं।” प्रस्तुत की। रविवार देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन को देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से असंख्य लोगों ने देखा, सुना और आनंद लिया।

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