रणथम्भौर रोड़ स्थित उच्च माध्यमिक आदर्श विद्या मन्दिर, विवेकानन्दपुरम में विद्या भारती राजस्थान द्वारा आयोजित प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग के 10वें दिन जोधपुर के प्रान्त संगठन मंत्री रविकुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि पंच कोष के आधार पर व्यक्ति का व्यक्तित्व निर्मित होता है। जिला निरीक्षक व प्रचार-प्रसार प्रमुख महेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि रविकुमार ने कहा कि पांच प्रमुख कोष होते है, अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय तथा आन्नदमय। अन्नमय कोष अर्थात् हमारा शरीर का विकास या आवरण का निर्माण अन्नमय कोष द्वारा होता है। शरीर में वृद्धि ऊंचाई मोटाई की वृद्धि बलशाली लोचशील कुशलता गति शरीर बल लोच तितिक्षा निरामया। प्राणमय कोष प्राण से ही हमार शरीर जीवित अवस्था में है प्राण बलवान होना चाहिए, प्राण संतुलित होना चाहिए, प्राण एकाग्र होना चाहिए इसी के कारण प्राणमय कोष का विकास सही होता है।
मनोमय कोष बाह्य करण एवं अंतकरण मन, बुद्धि, अंहकार, चित्त, मन चंचल है मन पर लगाम लगाना बहुत कठिन है, मन में द्वेष कोध होता है। मन शांत रहना चाहिए मन की एकाग्रता होनी चाहिए मन में सद्गुण एवं सदविचार होने चाहिए। विज्ञानमय कोष मन में पर निर्णय करने कार्य बुद्धि करती है। बुद्धि की शक्ति ध्यान धारणा संश्लेषण, विश्लेषण, मनन, अनुमान लगाना, निरीक्षण, परीक्षण करना तेजस्वी, ओजस्वी बुद्धि व्यापक रूप में चिंतन मनन की शक्ति होती है। आनन्दमय कोष यह प्रेम सौंदर्य सहजता सहज रूप में जो व्यवहार रूप में प्रकट होता है वह आन्नदमय कोष है। व्यवहार के रूप सहज रूपवान या कुरूप में सौन्दर्य दिखे। इस दौरान विद्या भारती राजस्थान के अध्यक्ष प्रो. भरतराम कुम्हार, जयपुर प्रान्त सचिव लक्ष्मण सिंह राठौड़, शिशुवाटिका प्रमुख गोपाल पारीक, जोधपुर प्रान्त सचिव महेन्द्र दवे, जिला व्यवस्थापक कानसिंह सोलंकी, जिला सचिव जगदीश प्रसाद शर्मा, मुकुट बिहारी शर्मा, जिला सह सचिव कैलाश कुमार, जिला सेवा प्रमुख महेन्द्र वर्मा, आईसीटी प्रमुख दामोदर प्रसाद शर्मा, प्रधानाचार्य गिर्राज शर्मा, किशन प्रजापत आदि उपस्थित रहें।