जिला मुख्यालय पर जिले से कोटा, जयपुर वाया टोंक होकर जाने वाली मुख्य सड़क पर खेरदा में बना रेलवे ओवर ब्रिज जो खूनी ब्रिज के नाम से प्रसिद्ध है जिले वासियों के लिए एक बड़ी समस्या बना हुआ है।
आम लोगों का कहना है कि इस ब्रिज से होनी वाली समस्याओं के लिए जिले के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन को कई बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन आज तक इसका कोई समाधान निकलता नजर नहीं आता है।
लोगों ने बताया कि एक तो यह ब्रिज जब से बना तब से विवादों में ही रहा है। इस ब्रिज की चैड़ाई बहुत कम है। जहाँ कई वर्षों पूर्व बना रेलवे का हम्मीर ब्रिज भी इससे ज्यादा चौड़ा नजर आता है। वह भी अब बढ़ते यातायात के कारण संकरा लगने लगा है। ऐसे में यह नया ब्रिज कई वर्षों पूर्व में बने ब्रिज से भी संकरा कैसे बना यह बात इस ब्रिज को बनवाने वाली सरकार, जिला प्रशासन, जिले के जनप्रतिनिधियों एवं इसका डिजाईन तैयार करने वाले इंजीनियरों पर भी प्रश्न चिह्न लगाती है। उस पर संकरा होने के बाद भी कई घुमाव इस ब्रिज को ओर ज्यादा खतरनाक बना देते हैं।
इतना संकरा है कि इस पर आमने सामने से आने वाली गाड़ियों को भी निकलने में डर लगता है। वहीं इस ब्रिज पर अंग्रेजी के डब्ल्यू जैसा घुमाव जिसके कारण सामने से आने वाली गाड़ियाँ कई बार दिखाई भी नहीं देती है।
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि अब तो प्रशासन ने भी इस ब्रिज को संकरा मान लिया है। ब्रिज के ऊपर ब्रिज के संकरा होने के कारण सावधानी से वाहन चलाने को निर्देशित करने वाले बोर्ड ब्रिज पर लगवा दिये गये हैं।
यह ब्रिज बनने के साथ ही अपने उद्घाटन से पहले ही लोगों की जान ले चुका है और यह सिलसिला रूकने का नाम भी नहीं ले रहा है। थोड़े थोड़े अन्तराल में इस ब्रिज पर लगातार दुर्घटनाऐं होती रहती हैं। इस ब्रिज से कई बार बड़े ट्रक, ट्रोले जैसे वाहनों की दुर्घटनाऐं होने पर कई घंटो के लिए जाम लग जाता है।
क्योंकि इस ब्रिज की समस्या का समाधान करने में शायद जिले के जनप्रतिनिधि और जिला प्रशासन भी अपने आप को असहाय महससू करता है। ऐसे में दुर्घटनाओं को रोकने के लिए भी प्रशासन कई प्रयोग करता रहता है। ऐसा ही प्रयोग है इस पर कई बार अलग अलग जगह ब्रेकर बनवाना। पहले इस ब्रिज के ऊपर तथा नीचे ब्रेकर बनाये गये। लेकिन उनसे दुर्घटनाऐं और बढ़ गई। तो प्रशासन ने ऊपर के ब्रिज टुटने के बाद नीचे ब्रिज बनवा दिये। लेकिन दुर्घटनाऐं नहीं रूकी।
अब प्रशासन ने जीनापुर की ओर वाले छोर पर नीचे बड़े बड़े तीन-चार ब्रेकर बना दिये हैं। लेकिन यह भी अजीब बात है कि इसका हाल भी पहले जैसा ही रहा। इन ब्रेकरों के बनने के बाद फिर एक ट्रोला पलट गया। इस दुर्घटना में इसके नीचे बने रास्ते पर कोई वाहन या व्यक्ति नहीं होने से जनहानि होने से बच गई। इन दुर्घटनाओं से ब्रिज के दोनों ओर बने रास्तों पर दुर्घटना की संभावनाऐं बढ़ गयी है। क्योंकि पता नहीं कब कोई वाहन ऊपर से नीचे आ जाये।
इस ब्रिज के बनने के बाद से खेरदा में रहने वाले लोगों को भी रेलवे लाईन ने दो टुकड़ों में बाँट दिया है। काॅलोनी के लोगों को ब्रिज के नीचे से बजरिया आने के लिए भी ब्रिज पर होकर एक लम्बा चक्कर लगाकर ही आना जाना पड़ता है। ऐसे में यहाँ के आम जन खासी परेशानी का सामना कर रहे हैं।
जहाँ तक समस्या के समाधान की बात है तो इस ब्रिज की चौड़ाई बढ़ाना एवं दोहरी करण करना तथा नीचे अण्डर पास बनाने से इस समस्या का समाधान हो सकता है। लेकिन समाधान करना चाहते हैं या नहीं यह तो जनप्रतिनिधि, प्रशासन एवं सरकार को सोचना है ? उनको आम जन की समस्या दिखाई देती है या नहीं ?