जिला मुख्यालय पर नगर परिषद क्षेत्र में स्थित लेकिन राजनीतिक एवं प्रशासनिक रूप से किसी समूद्री द्वीप के समान स्थित हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी की दुर्दशा को देखने के लिए आज तक कोई सरकार नहीं बन पाई है। चाहे पूर्व सरकारें रही हो या वर्तमान सरकार हाउसिंग बोर्ड वासियों की जैसे कभी सरकार ही नहीं बनती है। वर्तमान सरकार की स्थिति इस प्रकार देख सकते हैं कि राज्य में कांग्रेस सरकार होने के साथ ही स्थानीय विधायक भी कांग्रेस से होने तथा नगर परिषद में बोर्ड भी कांग्रेस का ही होने के बाद भी एक वार्ड पार्षद के उपचुनाव में अपना उम्मीद्वार भी खड़ा नहीं कर सके। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में आज तक हाउसिंग बोर्ड में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
यही हाल पूर्व की भाजपा सरकार में भी रहा है। जिला मुख्यालय पर इन दिनों राजनीतिक रूप से हाॅट स्पाॅट बने सर्किट हाउस से करीब 50 मीटर दूर स्थित हाउसिंग बोर्ड काॅलोनी शुरू होते ही सड़क गायब हो जाती है। सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि चाहे मुख्य सड़क हो या काॅलोनी के अन्दर की अन्य सड़कें सभी का हाल एक जैसा ही है। जो यह एहसास कराती है कि हाउसिंग बोर्ड किसी द्वीप के समान है जहां रोड़ से नहीं जा सकते। सरकार नल जल के लिए अभियान चला रही है। लेकिन हाउसिंग बोर्ड के बनने के साथ ही बनी पेयजल की लाइनों को आज तक किसी ने नहीं सम्भाला। लोगों को पानी भी मिल रहा है या नहीं किसी को कोई लेना देना नहीं है। रात में मुख्य सड़कों में गलियों में अंधेरा छाया रहता है। ऐसे में कई बार चोरी की घटनाएं हो चूकी है।
आगे भी हो जाये तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। आवारा कुत्तों व बन्दरों से लोगों को खासकर बच्चों को एवं वृद्ध बुजुर्गों को हमेशा खतरा बना रहता है। लेकिन उनकी चिन्ता करने वाला कोई नहीं है। हाउसिंग बोर्ड मुख्य चौराहे पर बस स्टैंड के पास सुलभ शौचालय के लिए एक थड़ी को जोर शोर से पुलिस लवाजमें की उपस्थिति में नगर परिषद के शूरवीरों ने हटवा कर वहां खाई खुदवा दी। वो खाई आज भी बदस्तूर वैसे ही बनी हुई है। हाउसिंग बोर्ड से सामान्य चिकित्सालय के पीछे नीमली रोड़ को जोड़ने के लिए आज तक गांव की कच्ची पगडण्डी के समान ही मुख्य रास्ता बना हुआ है। इन अव्यवस्थाओं के बीच हाउसिंग बोर्ड वासियों ने स्थानीय विधायक से भी गुहार लगाई तो स्थानीय प्रशासन एवं नगर परिषद से भी समस्याओं के समाधान की मांग की।
लेकिन आज तक किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया है। इन दिनों चुनावों के माहौल में सभी राजनीतिक पार्टियों के देश व राज्य के आला मंत्री, पदाधिकारी एवं नेता सर्किट हाउस तक आते है। लेकिन सर्किट हाउस की दीवार से दिखाई देने वाली काॅलोनी की दुर्दशा किसी को दिखाई नहीं देती। हालांकि प्रशासन अब लोगों के साथ हंसी मजाक भी कर रहा है। कुछ दिनों पूर्व लटिया नाले पर बनी पुलिया के पास सड़क के किनारे पर मोरम गिट्टी का ढेर लगा दिया। लोगों ने समझा कि शायद सड़क का काम चलेगा। लेकिन फिर ट्रोलियों में भर भर के वापस शायन किसी के घर भिजवा दिया गया। हो सकता है कि कागजों में हाउसिंग बोर्ड की सड़क भी बन गई हो ? खैर अब हाउसिंग बोर्ड के लोग यह सोचने को मजबूर है कि क्या कभी हमारी भी सरकार बनेगी ?