पेयजल के लिए सिर पर मटकी और पानी के बर्तन रखकर कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाने की बात सुनकर रेगिस्तान की तस्वीर सामने आती है। लेकिन ऐसा दृश्य जिले की खण्डार तहसील क्षेत्र के कई ग्रामीण क्षेत्रों में देखा जा सकता है जहाँ आज भी महिलाओं को इस आधुनिक एवं विकास का ढिंढोरा पीटते युग में भी एक एक बूंद पानी के लिए महिलाओं को इधर उधर भटकना पड़ रहा है।
खंडार तहसील क्षेत्र में पहाड़ियों के बीच बसे बैरई, भीमपुरा, श्रीनाथपुरा, विश्वनाथपुरा आदि में ऐसे हालत देखने को मिले हैं। यहाँ की ग्रामीण महिलाऐ अनीता गुर्जर, नैनी देवी, मूली देवी, कंचन देवी, माया देवी, विद्या देवी, विरमा देवी, मोरो देवी, सुरज्ञानी देवी आदि ने बताया कि हमारे गांव में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। हम लोगों को एक एक बूंद पानी के लिए भी तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर जाना पड़ता है। वहां पर भी बहुत ही पुराना एक हेडपंप है। जिसको आधे घंटे चलाने के पश्चात ही पानी दिखाई देता है। एक डेढ़ घंटे हेडपंप चला कर पानी से भरे बर्तन लेकर 3-4 किलोमीटर चलकर घरों को पानी लेकर आते हैं।
महिलाओं ने बताया कि कई वर्षों से हम पेयजल संकट को लेकर परेशानी का सामना कर रहे हैं। कई बार शिकायतों के पश्चात भी हमारे गांवो की पेयजल की समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है। जिसके परिणाम स्वरूप आज तक भी हमारे ग्राम के हालात जैसे के तेसे ही बने हुए हैं। पीड़ित ग्रामीणों ने राजस्थान सरकार से पेयजल संकट समस्या निस्तारण के लिए गुहार लगाई है।