भारतीय सभ्यता व संस्कृति को बचाए रखने के उद्देश्य से रविवार को आलनपुर स्थित दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कार के विशुद्धमति सभागार में आर्यिका विकक्षाश्री माताजी के सान्निध्य में सेमिनार आयोजित हुई। सेमिनार का शुभारंभ महिला महासमिति की उपाध्यक्ष डेजी जैन ने भगवान आदिनाथ की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, सरोज बज ने आचार्य विरागसागर के चित्र अनावरण कर एंव जिनवाणी छाबड़ा, टम्मो संघी व योशिका छाबड़ा द्वारा मंगलाचरण करने के साथ हुआ। वहीं पिकेश जैन ने आर्यिका विकक्षाश्री माताजी के चरण प्रक्षालन किए। आगंतुक महिलाओं व बालिकाओं का तिलक लगा कर भाव भीना अभिनंदन किया गया। सकल दिगंबर जैन समाज के प्रवक्ता प्रवीण जैन ने बताया कि इस अवसर पर आर्यिका विकक्षाश्री माताजी ने भारतीय नारी के छ: रूप-कन्या, पत्नी, अर्धांगिनी, जननी, भार्या व कुटुम्बिनी बताते हुए नारी शक्ति का उपयोग शील की रक्षा करने, स्वस्थ्य समाज व राष्ट्र उत्थान के लिए भारतीय सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप जीवन शैली अपनाकर जीवन को सुख उपयोगी बनाने की कला सिखाई। उन्होंने भ्रूण हत्या को नारी जगत का सबसे काला धब्बा बताया।
आज की शिक्षा पद्धति में परिवार, समाज, राष्ट्र और एक दूसरे के प्रति कर्तव्य-व्यवहार व नैतिक मूल्यों का अभाव देखने को मिलता है। यदि महिलाएं अपना कैरियर बनाती हैं और बाहर निकल कर कार्य करती है तो उन्हें दृढप्रतियोगी व स्वाग्राही होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में नारी फैशन शो जैसे आयोजनों में भाग लेकर मिस वर्ल्ड बनना चाहती हैं और पश्चिमी तर्ज पर स्वतंत्र होना चाहती हैं। भारतीय नारी को उन्नति के शिखर छूने के लिए अपनी देह का विज्ञापन करने से बचना चाहिए। बच्चों को संस्कार दें एवं स्वयं सुसंस्कारवान बने, सास बहू में सामंजस्यता, सेवा और व्यवहारिकता जीवन में लाएं, खोटे सीरियल नहीं देखें, परिवार में बड़ों की मर्यादा व सम्मान रखना चाहिए आदि अनेक शिक्षाप्रद बातें बताई और कन्या को मांगलिक बताया। लेकिन आधुनिक कन्या का पहनावा रहन-सहन बहुत भड़कीला हो जाने से नष्ट होती शालीनता व सौम्यता पर चिंता जताई। इस अवसर पर काफी संख्या में बालिकाएं व महिलाएं मौजूद रही।