स्वामी विवेकानंद राजकीय मॉडल स्कूल सूरवाल सवाई माधोपुर के राजेंद्र शर्मा द्वारा सवाई माधोपुर स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर लिखी गई एक कविता।
गहना जंगल का
हार चंबल का
खड़ी है जहा अरावल अकड़ के
हम रहने वाले उस शहर के ।।
सर्दी आए दुबक के
बारिश भी आए जमके
गर्मी के मिजाज गरम से
हम रहने वाले उस शहर के।।
बेबाकपन लोगो में
मासूमियत बच्चो में
है जवान अध उमर के
हम रहने वाले उस शहर के ।।
दिल्ली में दिल हो
मुंबई में मन हो
आए जाए तो ठहर के
हम रहने वाले उस शहर के ।।
बाघ की दहाड़
आसमान से पहाड़
अब तो चर्चे है पूरब नहर के
हम रहने वाले उस शहर के।।
अमरूद तो आम है
पुलिया पर जाम है
पर तब भी मजे है सफर के
हम रहने वाले उस शहर के ।।
कचोरी कुम्हार से
रोटी चाय और अचार से
बनास प्याज मीठे मटर से
हम रहने वाले उस शहर के।।
लड़के हवाई पट्टी पर लहराते
रानी हिंडोला पर झंडा फहराते
जो है सच्चे और सबर के
हम रहने वाले उस शहर के।।
माधोपुर के बड़े हो
मेहमान स्टेशन पर खड़े हो
फिर लेते मजे डगर के
हम रहने वाले उस शहर के।।
राजनीति में नीति से
रिश्तों में प्रीति से
उसूलों में रहते ठहर के
हम रहने वाले उस शहर के।।
जैनों के चमत्कार है
चौथ माता के दरबार हैं
शिवाड़ शिव दर्शन हर पहर के
हम रहे वाले उस शहर के।।
दिन मीठे आते
शाम ओर रात जगाते
और मजे है ताश में दोपहर के
हम रहे वाले उस शहर के।।
बौंली मलारना गंगापुर
बरवाड़ा बामनवास माधोपुर
खंडार वाले तो कहाँ कसर के
हम रहने वाले उस शहर के।।
नाम ही जिसका सवाई
हम्मीर हठीले की अंगड़ाई
किस्से बलिदान जोहर के
हम रहने वाले उस शहर के।।