अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक पटल पर कवि सम्मेलन का सवाई माधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ। इस पटल के समन्वयक और इस संस्था के वैश्विक अध्यक्ष प्रख्यात पत्रकार और साहित्यकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया। कवि सम्मेलन में नोएडा से इस पटल के समन्वयक और इस संस्था के वैश्विक अध्यक्ष प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव, दिल्ली से कवियत्री अंजू क्वात्रा, गुरुग्राम से कवि राजेश प्रभाकर, देहरादून से साहित्यकार सुभाष चंद सैनी, दमोह से साहित्यकारा डॉ. प्रेम लता नीलम और सवाई माधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी शामिल हुए।
डॉ. प्रेम लता नीलम द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना द्वारा कवि सम्मेलन का शुभारम्भ हुआ।
अंजू क्वात्रा ने कविता
न किसी पे एहसान कर रही हूं
न किसी का नुकसान कर रही हूं
छोटी सी ज़िन्दगी में
ख़ुद से ख़ुद की पहचान कर रही हूं।
प्रस्तुत की।
राजेश प्रभाकर ने कविता
नफरतों के इस शहर का क्या करूं मैं।
हर जुबां पर ही ज़हर का क्या करूं मैं।।
प्रस्तुत की।
सुभाष चंद सैनी ने कविता
75 वर्ष अब पूर्ण हुये, मैं सन्यास आश्रम में पहुँच रहा हूँ।
अमृतकाल में सन्यास, मैं अपना मोक्ष सुनिश्चित देख रहा हूँ।
प्रस्तुत की।
डॉ. प्रेम लता नीलम ने कविता
रंग भरा मन हो उमंग अंग अंग हो,
साजन न संग हो क्या रंग बरसाइए।
ऋतु हो बसंत कैसे मन रहे संत कंत
मन मठ सौतन महंत न बनाइए।
प्रस्तुत की।
डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने कविता
आओ तुमको नज़र से नहला दूँ,
चांदनी दूध में नहा आई।
प्रस्तुत की।
प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने कविता
पराजित करने सूरज को अंधेरे आज आए हैं,
ये जुगनू धूप का जलवा मिटाने आज आए हैं।
भुलाकर नेवले रंजिश मिले हैं आज साँपों से,
दिखाने खेल बहुमत का सपेरे आज आए हैं।
प्रस्तुत की।
मंगलवार देर शाम तक चले इस कवि सम्मेलन को स्वदेश एवं अन्य अनेक देशों से असंख्य श्रोताओं ने देखा सुना और सराहा।