नई दिल्ली: केंद्र सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में ‘एक देश, एक चुनाव’ को मंजूरी मिल गई है। सरकार की तरफ से सिफारिशों की मंजूरी देने के बाद से राजनीतिक बयानबाजियों का दौर भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर प्रतिक्रिया दी है। इसके साथ ही उन्होंने की सावली को उठाया है। उन्होंने कहा है कि, “लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते।” इसके साथ ही अखिलेश ने बीजेपी से सवाल किया है कि पार्टी ने अब तक अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव क्यों नहीं करवाया।
सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर अखिलेश ने कई सवालों को उठाया:
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीटकरते हुए बीजेपी से कई सवाल किए है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि…..
अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार?
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भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चयनित सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे?
किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतज़ार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा?
लगे हाथ महाराष्ट्र, झारखंड व यूपी के उपचुनाव भी घोषित करवा देते।
– अगर ‘वन नेशन, वन नेशन’ सिद्धांत के रूप में है तो कृपया स्पष्ट किया जाए कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक के सभी ग्राम, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की… pic.twitter.com/AfIfhhlVWS
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 18, 2024
इसको लागू करने के लिए जो सांविधानिक संशोधन करने होंगे उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है?
कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य जरूरी संसाधन ही नहीं हैं, इसीलिए हम चुनाव कराने का काम भी (अपने लोगों को) ठेके पर दे रहे हैं।
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जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर जिले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे।
चलते-चलते जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है। कहीं कमजोर हो चुकी भाजपा में अब ‘टू पर्सन्स, टू ओपिनियन्स’ का झगड़ा तो नहीं है।
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