रबी की फसल के लिए मोरेल बांध की दोनों नहरें 8 नवम्बर को खोली जायेगी। यह निर्णय भरतपुर सम्भागीय आयुक्त के प्रतिनिधि के रूप में सवाई माधोपुर जिला कलक्टर डाॅ.एस.पी.सिंह की अध्यक्षता में सवाई माधोपुर कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित मोरेल बांध की जल वितरण समिति की बैठक में लिया गया।बैठक में उद्योग एवं राजकीय उपक्रम मंत्री एवं लालसोट विधायक परसादी लाल मीणा, बामनवास विधायक इन्द्रा मीणा, सवाई माधोपुर पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी, दौसा जिला कलेक्टर के प्रतिनिधि एवं एडीएम लोकेश मीणा, जल उपभोक्ता संगमों के अध्यक्ष, सम्बन्धित एसडीएम और जल संसाधन विभाग के दोनों जिलों के अधिकारी उपस्थित रहे।उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि 1 माह तक नहर चलने के बाद दोनों जिलों के जिला कलेक्टर किसानों से मिले फीडबैक के आधार पर निर्णय करेंगे कि कितने समय के लिये नहर बंद कर पुनः कितने समय के लिये नहर खोली जाये। क्योंकि किसान को रबी में 1 पानी देने में पूरा महीना नहीं कुछ ही दिन लगते हैं तथा 1 पानी लगने के बाद कुछ दिनों का अन्तराल देना होता है। इस अन्तराल की अवधि में भी नहर चलने से पानी बर्बाद होगा। इस निर्णय से किसानों को अपनी फसल के लिए अधिक से अधिक पानी मिल सकेगा।
जिला कलक्टर डाॅ. सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि पानी की एक-एक बून्द किसान के चेहरे पर खुशहाली लाने का कार्य करे। उन्होने किसानों से आग्रह किया कि वे अपने हिस्से का ही पानी लें तथा कोई भी लीकेज हो तो सम्बन्धित अधिकारी को समय पर सूचित करें। उन्होंने 6 नवम्बर की शाम तक मुख्य नहर, पूर्वी नहर और इनकी माइनरों की मरम्मत करवाने के निर्देश सिंचाई विभाग के अधिकारियों को दिये। यह कार्य मनरेगा या अन्य किसी भी मद में जल संसाधन विभाग करवायेगा। इसकी दैनिक निगरानी रिपोर्ट सम्बन्धित एसडीएम दोनों जिला कलेक्टरों को देंगे। मरम्मत के अभाव में पानी लीकेज हुआ और अन्तिम छोर तक पानी नहीं पहुंचा तो सम्बन्धित अधिकारियों की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।
उल्लेखनीय है कि 30 फीट भराव क्षमता के मोरेल बांध में वर्तमान में 2707 एमसीएफटी पानी है। इसमें से 211 एमसीएफटी पानी डेड स्टोरेज है। बांध का 5 फीट का जल स्तर बरकरार रखा जायेगा। 53.32 किमी लम्बी पूर्वी नहर से लालसोट के 13 और बामनवास के 15 गांवों के 6707 हैक्टेयर क्षेत्र में तथा 105.45 किमी लम्बी मुख्य नहर से बौंली और मलारना डूंगर के 55 गाॅंवों में 12964 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है।