सवाई माधोपुर:- अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर केंद्रीय संचार ब्यूरो क्षेत्रीय कार्यालय सवाई माधोपुर तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वधान में रीको औद्योगिक क्षेत्र खेरदा स्थित रणथंभौर क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड में महिला, पुरुष, युवा मजदूरों व सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय सवाई माधोपुर के वाचनालय में अध्ययनरत प्रतिभागियों के मध्य बालश्रम पर निबंध, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव समीक्षा गौतम ने कहा कि बालश्रम एक अपराध के साथ-साथ सामाजिक बुराई भी है, जिस कारण भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 में वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों का कारखानों, खदानों, जोखिम पूर्ण व्यवसाय में नियोजन प्रतिबंधित किया हुआ है। उन्होंने कहा कि सभ्य समाज के लिए 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को बालश्रम से मुक्त रखते हुए उनके लिए बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य की व्यवस्था पर बल देना होगा। इसके साथ-साथ उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना होगा व सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से उनका सर्वांगीण विकास करना होगा।
उप निदेशक सूचना एवं जनसम्पर्क हेमन्त सिंह ने कहा कि हम सभी को बालकों को होटल, ढाबों, दुकानों व घरों में नियोजन से मुक्त रखना होगा, ताकि इनका भविष्य सुखद व सुनहरा हो। वहीं ऐसे नियोजन कर्ता जो कम मजदूरी पर अपने संस्थानों में श्रमिक के रूप में कार्य करवाकर बालकों का शोषण करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही कर दण्डित करना होगा। श्रम विभाग के लेबर इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सैनी ने बताया कि श्रम का अर्थ किसी कार्य या उत्पादक गतिविधि के लिए शारीरिक व मानसिक प्रयास है।
वहीं बाल श्रम उन कार्यों को सन्दर्भित करता है जिनमें बच्चे अपनी उम्र के अनुसार उपयुक्त कार्यों की तुलना में अधिक शारीरिक या मानसिक प्रयास करते है, जिससे उनका बचपन छिन जाता है। वे शिक्षा से वंचित हो जाते हैं, स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि बालश्रम को रोकने के लिए बालश्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 पारित किया गया है। भारत सरकार द्वारा उक्त अधिनियम वर्ष 2016 में संशोधन कर बालक और कुमार श्रम अधिनियम 1986 संशोधित अधिनियम 2016 लागू किया गया, जिसकी धारा 3 के तहत 14 वर्ष तक के बालक/बालिकाओं का सभी प्रकार के नियोजनों में तथा धारा 3 (अ) के तहत 14 से 18 वर्ष आयु वर्ग के कुमार/कुमारियों हेतु जोखिमपूर्ण कार्यो में नियोजन प्रतिबंधित किया गया है।
उक्त के उल्लंघन करने पर धारा-12 के तहत दोषी व्यकित को 6 माह से 2 वर्ष तक का कारावास एवं 20 हजार रूपये से 50 हजार रूपये तक के जुर्माने से दण्डनीय अपराध बनाया गया है। बाल श्रमिक नियोजन की जानकारी पुलिस हैल्पलाइन 100, चाइल्ड हैल्पलाइन 1098, राजस्थान सम्पर्क, श्रम विभाग व पेंसिल पोर्टल पर दी जा सकती है। कार्यक्रम में ब्यूरो के प्रभारी अधिकारी नेमीचंद मीणा द्वारा भी बाल श्रम निषेध दिवस के बारे में जानकारियां दी गई तथा दिवस के आयोजन को लेकर सरकार की मंशा से अवगत कराया।
इस अवसर पर विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव समीक्षा गौतम सहित अतिथियों द्वारा श्रम विभाग द्वारा निर्मित पेंसिल पोर्टल पोस्टर का विमोचन भी किया गया। इसी प्रकार सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय स्थित वाचनालय में उपस्थित जन समूह के बीच में बाल श्रम निषेध पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मंगलवार को आयोजित निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं लोकेश कुमार प्रजापत प्रथम, वर्षा कंवर द्वितीय एवं शुभम सैनी तृतीय को अतिथियों द्वारा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
वहीं विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान मौखिक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया प्रतियोगिताओं की विजेता प्रतिभागियों को केंद्रीय संचार ब्यूरो के क्षेत्रीय कार्यालय सवाई माधोपुर द्वारा पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस दौरान क्राफ्ट फैक्ट्री के प्रबंधक अमर सिंह राठौड, पुष्पेन्द्र उपाध्याय व्याख्याता सहित अन्य श्रमिक व प्रतिभागी उपस्थित रहे।