राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका संख्या 4754/10 में दिये निर्णय में राज्य सरकार को किसी भी स्थान पर नये नलकूप, बोरवैल या हैंडपम्प का निर्माण सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना नहीं करवाये जाने के लिए निर्देशित किया था।
सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने जिला कलेक्टर को इस मामले में सक्षम अधिकारी नियुक्त किया था। जिला कलेक्टर ने राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय की अक्षरषः पालना के लिये उपखण्ड स्तर पर जाॅंच दल गठित किये हैं। जांच दल का प्रभारी अधिकारी सम्बंधित एसडीओ को नियुक्त किया है। जाॅंच दल में संबंधित तहसीलदार उप पुलिस अधीक्षक, थानाधिकारी व जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता/कनिष्ठ अभियंता को शामिल किया गया है।
जिले में बामनवास, बौंली, चौथ का बरवाड़ा, गंगापुर, खण्डार, सवाई माधोपुर ब्लाॅक को अतिदोहित क्षेत्र घोषित किया गया है। सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के बिना यदि कोई भूजल दोहन का कार्य करते हुए पाया जाता है तो केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण के दिशा-निर्देशानुसार वेधन इकाई को जप्त करने, अवैध बनाये गए ट्यूबवैल को सीज, सील या नष्ट करने तथा बोरवेल पर किये गए विद्युत संबंध को विच्छेद करने की कार्रवाई की जायेगी। साथ ही दोषी के विरूद्ध क्रिमिनल परिवाद भी पेश होगा।
जांच दल बिना अनुमति खोदे जा रहे बोरवेल की मौके पर जांच कर साक्ष्य भी जुटायेगा। ड्रिलिंग करने वाली मशीन के मालिक के विरूद्ध भी कानूनी कार्रवाई होगी।
अवैध बोरवैल पर विद्युत कनेक्शन पाया गया तो विद्युत विच्छेदन के साथ ही अनुमति देने वाले जेवीवीएनएल अधिकारी के विरूद्ध कार्रवाई की जायेगी।
बोरवैल करने वाली यूनिट का भू-जल विभाग से रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। बिना रजिस्ट्रेशन कार्य करने पर कठोर कार्रवाई अवैध ड्रिलिंग में लगी मशीन को जब्त किया जायेगा।