दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चमत्कारजी आलनपुर में चातुर्मास कर रहे समताशिरोमणि, अध्यात्मयोगी, बालयति, प्रवचन केसरी-आचार्य सुकुमालनंदीजी ने प्रवचन के दौरान श्रावकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जो व्यक्ति श्रृद्धावान, विवेकवान, क्रियावान होता है, गुरु के प्रति श्रद्धा रखता है और जिनवाणी के मार्ग पर चलता है वही सच्चा श्रावक होता है। वही सच्च गृहस्ती होता है।
आचार्य ने कहा कि प्रत्येक श्रावक को अपने साथ-साथ परोपकार की भावना के साथ दूसरों के उत्थान के बारे में भी सोचना चाहिए। यदि हम दूसरों की सेवा करेगें तो हमारे भावों में भी विशुद्धता बढ़ेगी। भगवान और गुरु में कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए और सब को सभी भगवान और सभी गुरुओं के प्रति समभाव रखना चाहिए और उनकी अंतरंग भक्ति करनी चाहिए। व्यक्ति की जिन्दगी का कोई भरोसा नहीं है यहाँ पर हर श्वांस में धोखा ही धोखा है। समय रहते श्रावक धर्म अपनाते हुए जिन्दगी को सार्थक कर अपनी आत्मा का कल्याण कर लेना चाहिए। धर्मसभा के मंच पर मुनि सुनयनंदी एवं ऐलक सुलोकनंदी भी विराजमान थे।
वर्षायोग समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री प्रवीण कुमार जैन ने बताया कि धर्मसभा का शुभारम्भ चेतन शाह, सुरेश शाह अहमदाबाद, ऋषि जैन पांडिचेरी वालों ने किया। विजयनगर के कांति शाह एवं हैदराबाद की निर्मला गंगवाल ने मंगलाचरण के रुप में भजन की शानदार प्रस्तुति दी। मुकेश पल्लीवाल एवं दीपक कासलीवाल ने अहमदाबाद, विजयनगर, पांडिचेरी, भोपाल, शिवाड़ से आये श्रद्धालुओं का माल्यार्पण कर एवं पगड़ी पहनाकर भाव-भीना स्वागत करते हुए धर्मसभा के मंच का प्रभावी संचालन किया। साथ ही आचार्य ने सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर स्थानीय एवं दूर-दराज के श्रावकगणों ने काफी संख्या में मौजूद रहकर धर्म लाभ लिया।