प्रदेश स्तरीय दल जिले भर के स्वास्थ्य केन्द्रों के दौरे पर हैं। अपने 3 दिवसीय कार्यक्रम में टीमों ने सवाई माधोपुर जिला अस्पताल, बामनवास, वजीरपुर, मलारना डूंगर, कुंडेरा, फलौदी, बौंली, भाड़ौती, भगवतगढ, चौथ का बरवाड़ा, शिवाड़, बहरांवडा खुर्द, खंडार, बालेर, बहरांवडा कलां के चिकित्सा संस्थानों के लेबर रूम का गहनता से निरीक्षण किया।
पूर्व में निरीक्षण के दौरान दल को फरवरी माह में किए कुछ गैप्स मिले थे, जिन्हें सुधारने की कवायद जिला-खण्ड व संस्थान प्रभारियों द्वारा की गई थी। जिले के लेबर रूम जच्चा और बच्चा दोनों के लिए सुरम्य और सुविधा संपन्न हों, राष्ट्रीय मानकों पर खरे उतरें और नए जीवन का स्वागत करें, इसके लिए ये निरीक्षण किये जा रहे हैं।
निरीक्षण के राज्य स्तरीय टीम के सदस्य डॉ. अरूण वशिष्ठ एसएनओ एनसीडी, डॉ .धर्मेन्द्र आर्य एसएनओ परिवार कल्याण के साथ मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. तेजराम मीना, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेश चंद जैन, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुधीन्द्र शर्मा, दक्षता मेंटर इरशाद मिर्जा मौजूद रहे। निरीक्षण दलों ने भर्ती प्रसूताओं से फीडबेक लिया और स्थानीय नागरिकों की राय भी जानी। डॉ. आर्य ने बताया कि बामनवास, वजीरपुर, चौथ का बरवाड़ा, भाडौती, बहरांवडा खुर्द, बहरांवडा कला, कुंडेरा के लेबर रूम्स में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं बेहतर मिली। वहीं जिला अस्पताल, फलौदी, भगवतगढ, मलारना डूंगर के लेबर रूम की व्यवस्थाएं संतोषजनक मिली। जिनके लिए संबंधित अधिकारियों को व्यवस्थाएं नियत समय में सुधारने हेतु पाबंद किया गया। साथ ही प्रसव सखी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिये हैं।
लेबर रूम में स्टेंडर्ड क्लीनिकल प्रोटोकाल्स के बारे में सभी को जानकारी रखने के साथ ही उनकी पालना, प्रसव के बाद चिकित्सकीय या सपोर्टिंग स्टाफ द्वारा प्रसूता के परिजनों से बधाई के नाम पर किसी भी तरह के उपहार या नकद राशि का लेन-देन पाये जाने पर संबंधित कार्मिक के विरुद्ध सख्त कार्यवाही अमल में लाने के भी निर्देश दिये हैं। उन्होंने चिकित्सा संस्थानों को डिलेवरी प्वाईंट के रूप में विकसित करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। उन्होंने कहा कि किसी भी चिकित्सा संस्थान में ओपीडी के अतिरिक्त मातृ स्वास्थ्य एवं शिशु स्वास्थ्य सेवायें प्रदान किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है। प्रदेशभर में लेबर रूम की व्यवस्थाओं, चिकित्सकों, स्टाफ के व्यवहार, दवा की उपलब्धता, क्लिनिकल प्राटोकॉल, सफाई, स्टाफ की उपस्थिति, मानव संसाधन की उपलब्धता आदि को लेकर राज्य स्तर से किये गये निरीक्षण में सामने आये गैप्स को दूर करने हेतु चिकित्सा विभाग कटिबद्व है।