साढ़े तीन साल बाद ही सही लेकिन आखिर आज उसे न्याय मिल ही गया।
जब आज न्यायालय विशिष्ट न्यायाधीश अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण प्रकरण ने सामूहिक बलात्कार के दोनों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुना दी।
गौरतलब है कि दिसंबर 2014 में नाबालिग युवती निवासी बम्बोर जिला टोंक के द्वारा दो युवकों के खिलाफ सदर थाना टोंक में उसके साथ दुष्कर्म कर फ़ोटो खेंचने और ब्लैकमेल व किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज कराया था। मामले में उसने बताया था कि 19 दिसम्बर को आरोपी उसे अपने घर बुलाने के लिए फोन कर रहे थे। जब वह नहीं गई तो वह उसे रास्ते में मिल गए और बहला फुसलाकर अपने घर ले गए। जहां छत पर ले जाकर दोनों ने बारी-बारी उसका बलात्कार किया और फोटो भी लिए। किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी और साथ ही फ़ोटो को नेट पर डालकर उसे बदनाम करने की बात भी आरोपियों ने कही।
वहां से पीड़िता जैसे तैसे निकल कर अपने परिवार जनों के पास पहुंची और उनको पूरी बात बताई। उसके बाद भी आरोपी उसके घरवालों को भी धमकाते रहे। इस डर से वे कुंडरा चौकी भी नहीं जा सके। उसके बाद 21 दिसंबर 2014 को थाना सदर टोंक में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
आज विशिष्ट न्यायाधीश बालकृष्ण मिश्रा ने नाबालिग लड़की से गैंगरेप के मामले में संजय रेगर व गजेंद्र रेगर 376 डी के तहत ₹10000 का अर्थदंड और 20 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही धारा 366 में 10 वर्ष के कठोर कारावास व 5000 रुपये अर्थ दंड की सजा सुनाई है। ये दोनों सजाएं साथ साथ चलेंगी। इन दोनों आरोपियों को सजा सुनाए जाने के बाद न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है।