आमजन में रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास, आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लक्ष्य से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य बजट में घर-घर औषधि योजना की घोषणा की थी। इसकी पालना में जिले के प्रत्येक परिवार को आगामी पांच साल में 24 औषधीय पौधे निःशुल्क उपलब्ध करवाएं जाएंगे। घर घर औषधि योजना के तहत जुलाई माह से औषधि पौधे जिनमें तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा और गिलोय के पौधे तैयार कर वितरण करने के लिये जिला स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन की अध्यक्षता में आज सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। बैठक में जिला कलेक्टर ने बताया कि प्रत्येक परिवार को आगामी 5 साल में तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ आदि के कुल 24 पौधे मिलेंगे। इन्हें 3 बार में अर्थात प्रत्येक बार 8-8 पौधे मिलेंगे। चालू तथा अगले वित्तीय वर्ष में जिले के 1.27-1.27 लाख परिवारों को ये पौधे मिलेंगे। 2023-24 में जिले के प्रत्येक परिवार को तथा 2024-25 और 2025-26 में 1.27-1.27 लाख परिवारों को ये पौधे मिलेंगे। इस वर्ष जिले में वितरण के लिए 9 नर्सरियों में 10 लाख 15 हजार पौधे तैयार किए जा रहे है। पौधों का वितरण जुलाई एवं अक्टूबर माह में दो चरणों में किया जाएगा। जिला स्तरीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष एवं जिला कलेक्टर राजेन्द्र किशन ने बताया कि वन महोत्सव की थीम घर-घर औषधीय पौधा वितरण ही रहेगी। औषधीय पौधे अपने औषधीय गुणों के लिये तो महत्वपूर्ण है ही, घर के सौंदर्य में बढ़ावा देंगे, बच्चों को शुरू से ही पर्यावरण और स्वास्थ्य के बीच के रिश्ते की सीख भी देंगे। बैठक में कलेक्टर ने आजमन का जुडाव बढ़ाने तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधों के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए लोगों की भागीदारी बढ़ाने के निर्देश दिए। गांव के लोगों, स्काउट, एनएसएस, एनजीओ को वृक्षमित्र/पर्यावरण मित्र के रूप में नियुक्त कर जुड़ाव बढ़ाने के निर्देश दिए। उन्होंने डीएफओ को निर्देश दिए कि वितरण के समय इन पौधों के रखरखाव के टिप्स भी लोगों को दें और अच्छी गुणवत्ता के पौधों का वितरण सुनिश्चित करें। उन्होंने ग्राम वार वितरण के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश भी दिए। पौधों का वितरण वार्ड पंच, एनजीओ और ग्रामीणों की अधिकतम भागीदारी के साथ किया जाए। बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि शहरी क्षेत्र मे स्थानीय निकाय द्वारा वार्ड स्तर पर एवं ग्रामीण क्षेत्र मे पंचायतों एवं पीईईओ के माध्यम से ग्राम स्तर पर औषधि पौधों को वितरण किया जाए। बैठक में कलेक्टर ने निर्देश दिए कि औषधि पौधे देने के पश्चात उनकी सार संभालने के लिये लोगों को जागरूक करे और उनके फायदे के बारे मे लोगों को अधिक से अधिक बताए कि यह अच्छा मौका है। उन्होंने राजकीय विभागों के कार्मिकों व अन्य जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से योजना से जुड़े उन्हे पौधे वितरण कर लगवाने एवं सार संभाल के लिये जागरूक करने के निर्देश दिए। उन्होने बताया कि घर-घर औषधि योजना का वन विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है।
सामाजिक वानिकी के डीएफओ जयराम पांडे ने बताया कि पौधे जिले की नौ पौधशालाओं में तैयार किया जा रहा है, योजना से राजस्थान मे पाई जाने वाली वन औषधि पौधों को संरक्षण भी होगा। जिला कलेक्टर ने कहा कि औैषधि पौधों को लगाने और उन्हे संरक्षण देने के लिये लोगो को जागरूक बनाये और तुलसी, कालमेध, अश्वगंधा और गिलोय से होने वाले स्वास्थ्य फायदे के बारे में भी जागरूक करें। बैठक में कलेक्टर ने ग्राम स्तर पर कार्यशाला में लोगों को जानकारी देने, पौध वितरण केन्द्र पर व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने, जन प्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, राजकीय कार्मिकों और आमजन को जोड़ते हुए इसे जन अभियान बनाने के निर्देश दिए। बैठक में अतिरिक्त जिला कलेक्टर डॉ. सूरज सिंह नेगी ने कहा कि ऑक्सीजन का महत्व हमे कोरोना काल ने बेहतर तरीके से समझा दिया। ऐसे पौधे लगाए जो पर्यावरण संरक्षण के साथ ऑक्सीजन के प्रचुर दाता हो। पौधे लगाने के साथ ही उनके संरक्षण और सार संभाल की जिम्मेदारी भी ली जाए। बैठक में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामस्वरूप चौहान ने भी घर-घर औषधि योजना के संबंध में पंचायत राज संस्थाओं की भूमिका एवं सहयोग की जानकारी दी। बैठक में औषधिय पौधों के अतिरिक्त वन महोत्सव के तहत जिले में 5 लाख 44 हजार पौधे लगाएं जाने के लक्ष्य और तैयारियों की जानकारी दी गई। बैठक मे सहायक निदेशक बाल अधिकारिता श्रृद्धा गौत्तम, सीडीईओ रामकेश मीना, उप निदेशक आयुर्वेद, नगर परिषद आयुक्त रविन्द्र यादव, जिला युवा अधिकारी हर्षित खंडेलवाल, जिला खेल अधिकारी, सीईओ स्काउट चंद्रशंकर श्रीवास्तवए, प्राचार्य कन्या महाविद्यालय मनीषा शर्मा और संयुक्त निदेशक पशुपालन डॉ. ओ.पी. गुप्ता सहित संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित रहें।