मां का दूध बच्चों के लिए अमृत है। जब यह नवजात शिशुओें का नहीं मिल पाता है तो उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है। बीमार और मां के दूध से वंचित शिशुओं का जीवन बचाने के लिए जिला अस्पताल में आंचल मदर मिल्क बैंक की शुरूआत की गई है।
इस अवसर पर राज्य सलाहकार देवेन्द्र अग्रवाल, पीएमओ डाॅ. उमेश शर्मा, डाॅ. सुनील शर्मा, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. महेश महेश्वरी, जिला आईईसी काॅर्डिनेटर प्रियंका दीक्षित व समस्त स्टाफ मौजूद रहे।
पहले दिन धात्री माताओं ने अपना दुग्धदान करके मां के दूध से वंचित बच्चों की जान बचाने का संकल्प लिया।
पीएमओ डाॅ. शर्मा ने सभी धात्री माताओं का टीका लगाकर स्वागत किया। राज्य सलाहकार ने कहा कि सभी दान देने वाली माताओं को पारिवारिक माहौल मिल सके इसलिए बैंक में घर जैसा माहौल रखा गया है और माताओं के लिए हर प्रकार की सुख सुविधाओं का खयाल रखा गया है।
काउंसलिंग के माध्यम से भलि प्रकार से माताओं को समझाया जाए ताकि उनके माध्यम से समाज में दूध दान के प्रति अच्छा मैसेज जाए। 39 लाख की लागत से बने इस मदर मिल्क बैंक में दूध दान कर के और उसे आधुनिक मशीनों के माध्यम से सुरक्षित रखा जाएगा।
मिल्क बैंक मेें डोनर रूम, प्रोसेस रूम, स्टोरेज रूम, रिसेप्शन, काउंसलिंग रूम आदि है। पहले एक साल मे मरने वाले शिशुओं में से 70 फीसदी की मौत पहले एक महीने में ही हो जाती है। इनमें से 70 फीसदी की मौत डायरिया और निमोनिया से होती है, इस मृत्युदर को मां के दूध से आसानी से कम किया जा सकता है। इससे शिशुओं की मृत्यु को 16 प्रतिशत कम किया जा सकता है। शिशुओं के छह गुना तक बचने की संभावना रहेगी।
किन नवजातों के लिए होगा फायदेमंद:
मां के इस दूध से, बीमार बच्चों को जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल की एफबीएनसी में रखा जाता है उनके लिए प्रयोग में लिया जाएगा। अब हर नवजात शिशु को मां का दूध उपलब्ध हो सकेगा। ब्रेस्ट फीडिंग क्लिनिक में धात्री माताओं को समझाया जाएगा, प्रशिक्षण दिया जाएगा व स्तनपान संबंधी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। लाभार्थियों को 28 दिनों तक, 3 किलो से कम, बीमार शिशु, समय से पहले पैदा हुए शिशु, कम वजन, कटे होंठ वाले, अनाथ शिशु, मां की मृत्यु होने पर मदर मिल्क बैंक से सहायता दी जाएगी।
कौन कर सकती हैं दूध दान:
मदर मिल्क बैंक में माताएं अपनी स्वेच्छा से दूध दान कर सकती हैं। धात्री माताएं किसी कारण से अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पाती हैं। वे माताएं जिनके पास अपने बच्चों को स्तनपान कराने के पश्चात भी अतिरिक्त दूध है अथवा वे किसी चिकित्सकीय या अन्य कारणवश अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करा पर रही है, वे अपना दूध दान कर सकती है जिससे जरूरतमंद नवजातों को मां का दूध मिलेगा और कई नन्हीं जानों की जीवनरक्षा हो सकती हैं।