वर्तमान में जिले के शुकर वंश में फैली अज्ञात बीमारी के कारण सुअरों की असामान्य मृत्यु हो रही है जिसकी जांच हेतु जिला रोग निदान प्रयोगशाला व जयपुर से आई राज्य रोग निदान प्रयोगशाला की टीम द्वारा मृत व जीवित सुअरों से रक्त, विसरा व अन्य नमुने एकत्रित कर भोपाल निषाद प्रयोगशाला भेजे गये है।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. भगवान लाल गुप्ता ने बताया कि जिले के सभी नोडल अधिकारियों व पशु चिकित्सा अधिकारियों को नोडल क्षेत्र के सुकर वंश की संपूर्ण सूचना अपडेट करने के निर्देश प्रसारित कर दिये गये है। मृत पाये गये सुअरों में वायरस जनित अफ्रिकन स्वाईन फीवर रोग (एएसएफ) के लक्षण पाये गये है किंतु रोग की पुष्टि भोपाल प्रयोगशाला से रिपोर्ट आने पर ही हो पाएगी। इस रोग में पशु को तेज बुखार आता है पशु सुस्त हो जाता है कान, पेट, पूंछ की त्वचा अत्यधिक लाल व नीली हो जाती है। पशु लड़खड़ाते हुए चलता है, दस्त एवं उल्टी होती है। पशु की मृत्यु 3 से 10 दिन में हो जाती है।
इस रोग का उपचार व वैक्सीन उपलब्ध नहीं है केवल लक्षण के अनुसार ही दवा दी जा सकती है। अफ्रिकन स्वाईन फीवर रोग (एएसएफ) से मानवों को कोई खतरा नहीं है। यह रोग मानव को प्रभावित नहीं करता है। संक्रमण अधिक नहीं फैले इसके लिए पशुपालको को निर्देश दिये है कि बीमार पशुओं को स्वस्थ्य पशुओं से अलग रखा जाये व खाना पीना भी पृथक रखा जाए, पशु बाडे को साफ सुथरा रखें व डिटर्जट, फिनाइल अथवा सोडियम हाईपो क्लोराईड घोल से वीसंक्रमित करें।
मृत पशुओं को गड्डा खोदकर, चुना डालकर, वैज्ञानिक विधी से शव का निस्तारण करें। जिले में अब तक सवाई माधोपुर क्षेत्र चौथ का बरवाड़ा व बौंली क्षेत्र में कुल 1328 सुअरों की मृत्यु हुई है। इन क्षेत्रो में ईपिसेन्टर चिन्ह्ति किये गये है। सभी नोडल अधिकारियों व जिला रोग निदान प्रयोगशाला, जिला मोबाईल यूनिट को रोग के सर्वेक्षण व नियत्रण हेतु निर्देशित किया गया है। बीमारी के नियंत्रण व सर्वेक्षण हेतु आरआरटी गठित कर दी गई है व कंट्रोल रुम स्थापित कर दिया गया है।