जनपक्षधर साहित्य अपने समय का जीवंत दस्तावेज होता है – चरण सिंह पथिक
राजस्थान साहित्य अकादमी तथा सवाई माधोपुर के साहित्यिक सांस्कृतिक मंच बतलावण के संयुक्त तत्वावधान में शहर के जिला सार्वजनिक पुस्तकालय में वर्तमान यथार्थ और साहित्यकार विषय पर सृजन संवाद संगोष्ठी का आयोजन रविवार को किया गया।
पत्रवाचन करते हुए फिल्म लेखक व वरिष्ठ कथाकार चरण सिंह पथिक ने कहा कि यथार्थ सतत परिवर्तनशील है। जनपक्षधर साहित्य अपने समय का जीवंत दस्तावेज होता है। साहित्यकार का काम है बदलते यथार्थ को पकड़ना।
विनोद पदरज ने कहा कि साहित्यकार आम जान की पीड़ाओं को व्यक्त करके हमारी संवेदनाओं को झझकोर देता है। राजकीय महाविद्यालय के प्रो. मोहम्मद शाकिर ने कहा कि लेखक को संजीदगी और जुनून से लबरेज होना और आवाम को गुमराह होने से बचाना चाहिए।
कोटा से आये मुख्य अतिथि जनकवि महेंद्र नेह ने कहा कि आज के दौर में साहित्यकारों को निराला मुक्तिबोध और बेर्टोल्ट ब्रेख्त की तरह प्रतिबद्ध होना होगा। घटाटोप अन्धकार को दूर करने के लिए साहित्यकारों को अपना घर जलाकर रौशनी करनी होगी। प्रो. संजय चावला ने कहा कि साहित्य ही जीवन को संरक्षित कर सकता है। अध्यक्षता करते हुए टोंक से आये डाॅ. मनु शर्मा ने कहा कि साहित्यकार ही मानवीय गुणों के क्षरण और नागरिक चेतना को कुंद होने से बचा सकता है। इस संगोष्ठी में राधेश्याम अटल, प्रभाशंकर उपाध्याय, शिव योगी ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र छात्राऐं भी उपस्थित थे।
छात्राओं भावना तथा रोशिका ने शहर में ऐसी विचारोत्तेजक संगोष्ठी आयोजित करने के लिए आयोजकों को साधुवाद दिया। संगोष्ठी के दौरान प्रगतिशील साहित्य की पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन भी कोटा की विकल्प संस्था के नारायण शर्मा द्वारा किया गया। जिसमे बड़ी संख्या में पुस्तकें क्रय कर विद्यार्थियों तथा साहित्य प्रेमियों ने लाभ उठाया। कार्यक्रम का संचालन मोईन खान तथा डाॅ. रमेश वर्मा ने किया।