फूलों के उत्पादन की तकनीकी एवं विपणन के बताए तरीके
जिला मुख्यालय पर स्थित फूल उत्कृष्ट केंद्र पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत विशिष्ट फूलों में प्रौद्योगिकी हस्थानांतरण विषय पर दो दिवसीय राज्य स्तरीय कृषक सेमीनार का आयोजन जिला परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अभिषेक खन्ना के मुख्य आथित्य में आयोजित हुआ। मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने किसानों को परम्परागत खेती से हटकर उद्यानिकी फसलों की ओर कदम बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फूलों की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाकर उन्हें खुशहाल और मालामाल कर देती है।
किसान बायोवेस्ट से नाडेप कंपोस्ट बनाकर जैविक खेती को अपनाएं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और गुणवत्तायुक्त जहरमुक्त उत्पादन उत्पादन प्राप्त होगा। सेमिनार के प्रशिक्षण सत्र में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के प्रोफेसर डॉ.एल.एन. महावर ने किसानों संरक्षित खेती की जानकारी देते हुए रजनीगंधा, ग्लेडियोलस, गुलाब, गुलदाउदी आदि की खेती का प्रेजेंटेशन प्रस्तुत किया।
फूल उत्कृष्टता केंद्र के उपनिदेशक लखपत लाल मीणा ने केंद्र पर उत्पादित फूलों के उत्पादन, प्रशिक्षण, प्रसंस्करण व विपणन गतिविधियों से रुबरू कराया। कृषि पर्यवेक्षक विजय जैन ने बताया कि सेमिनार के द्वितीय दिवस में इंटरनेशनल हॉर्टिकल्चर इन्नोवेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर दुर्गापुरा जयपुर के विशेषज्ञों द्वारा कृषकों को संरक्षित खेती के तहत फूलों के उत्पादन तकनीकी, नर्सरी प्रबंधन एवं मार्केटिंग की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। सेमीनार का संचालन कृषि पर्यवेक्षक सुरेश स्वर्णकार ने किया।
सेमिनार में श्रीगंगानगर, राजसमंद, बूंदी, करौली, भरतपुर आदि जिले के 100 किसान एवं कार्मिक भाग ले रहे हैं। इस मौके पर कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामराज मीणा, परियोजना निदेशक आत्मा अमर सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. बी. एल. ढाका, कीट वैज्ञानिक डॉ. बी. एल. मीणा, उप निदेशक उद्यान चंद्रप्रकाश बढ़ाया, कृषि अनुसंधान अधिकारी दुर्गाशंकर प्रजापति, सहायक कृषि अधिकारी रामजीलाल मीणा, कृषि पर्यवेक्षक रासबिहारी गुप्ता, मोहनलाल सैनी, शालिनी तिवारी आदि मौजूद रहे।