अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित पटल पर एक कवि सम्मेलन का सवाई माधोपुर से वर्चुअल आयोजन हुआ।इस कवि सम्मेलन में पटना बिहार से ऋषि सिन्हा, नागदा मध्यप्रदेश से दिनेश दवे, उज्जैन मध्यप्रदेश से हास्य कवि राजेंद्र विश्वकर्मा, दिल्ली से राजेश लखेरया, सवाई माधोपुर से डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी और गाजियाबाद से संस्था के वैश्विक अध्यक्ष और इस पटल के समन्वयक प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव उपस्थित रहे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने की तथा संचालन डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने किया।
ऋषि सिन्हा ने कविता, चेहरा खूब व्यापार करता है, छुपा लेता है आंख चश्मा में और शिकार करता है!! प्रस्तुत की। दिनेश दवे ने कविता, कुछ तो मुझमें बचपना मौजूद है, देख भोलापन दबा मौजूद हैं। मोह लेता सब को बोली से सदा, कुछ तो बोली में मजा मौजूद है। प्रस्तुत की। हास्य कवि राजेंद्र विश्वकर्मा ने कविता, गप्पू जी का हो गया, साल यूं सत्यानास। चैट किया आभा समझ, निकला वो आभास। प्रस्तुत की।
राजेश लखेरया ने कविता, एक बार जरा हँसो तो जानूँ, कि तुमने मुझे है माफ किया और अपना दिल है साफ किया। प्रस्तुत की। डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने हास्य रचना, इक दिन हमने पा लिया, इस जीवन का अर्थ। जिंदा हैं, सब ठीक है, मृत्यु बाद सब व्यर्थ।। प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने ग़ज़ल, तेरे आंचल के चांद और सितारों तले, बन के जुगनू ये लम्हें चमकने लगे। ये खुमार आपके ही ख्यालों का है, जिसकी ख़ुशबू से मौसम महकने लगे। तेरी बातों की तपती हरारत से फिर, जिस्म सांसों के देखो दहकने लगे। प्रस्तुत की। गुरुवार देर रात तक चले इस कवि सम्मेलन को देश एवं विश्व के अन्य देशों के विविध क्षेत्रों से असंख्य श्रोताओं एवं दर्शकों ने सुना एवं देखा।