सरकार ने भले ही आयुर्वेद विभाग के अधीन जिले में 12 हेल्थ वेलनेस सेंटरों की कायापलट की घोषणा कर दी हो लेकिन यह घोषणा अभी तक कागजों में भी घूम रही है। वहीं अब सरकार की ओर से जिले में 17 अन्य हेल्थ वेलनेस सेंटरों के लिए प्रस्ताव मांगे गये है।
जानकारी के अनुसार जिले में कुल 84 आयुर्वेद औषधालय संचालित है। इनमें से 29 औषधालयों को हेल्थ वेलनेस के रूप में विकसित करना प्रस्तावित है। ग्रामीणों को बेहतर उपचार की सुविधा उपलब्ध करवाने को लेकर सरकार ने इन्हें हेल्थ वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्णय किया है। लेकिन विभाग की अनदेखी से योजना आगे नहीं बढ़ पा रही है।
जानकारी के अनुसार जिले में आयुर्वेदिक विभाग के अंतर्गत पूर्व में बड़ीला, चकेरी, छाण, गंडाल, गोठड़ा, गोतोड़, खिलचीपुर, नीमोद करेल, पांवडेरा, फुलवाड़ा, सारसोप व टोकसी सहित कुल 12 वेलनेस सेंटर का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त 17 आयुर्वेदिक चिकित्सालयों के लिए भी प्रस्ताव मांगे है।
जिले में कई दशकों से संचालित आयुर्वेदिक औषधालयों की स्थिति बदहाल है। निर्माण के बाद सरकार ने ज्यादा सुध नहीं ली। जिसके कारण कई औषधालय जीर्ण-शीर्ण व बदहाल दिखाई देते हैं। इससे ग्रामीणों को गांव स्तर पर प्राथमिक उपचार की सुविधा तक नहीं मिलती। सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए उन्हें कस्बे व शहरों तक लंबी दौड़ लगानी पड़ती है।
जिले में आयुर्वेदिक विभाग के अंतर्गत कुल 84 औषधालयों में से तीन विशिष्ट चिकित्सालय केन्द्र संचालित है। विशिष्ट चिकित्सा केन्द्रों में शिवाड़, गंगापुर सिटी में आंचल प्रसूता केन्द्र व जिला चिकित्सालय में पंचकर्म औषधालय शामिल है। इसके अलावा 81 आयुर्वेद औषधालय है।
इनका कहना है:-
जिले में पूर्व में 12 हेल्थ वेलनेस सेंटर बनने प्रस्तावित है। इनकी ट्रेनिंग करवा दी है। कोरोना के चलते पूर्व में निर्माण शुरू नहीं हो सका था। अब सरकार ने 17 हेल्थ वेलनेस सेंटर के लिए ओर प्रस्ताव मांगे है। इनके प्रस्ताव बनाकर निदेशालय को भेजे जाएंगे। जल्द ही हेल्थ वेलनेस सेंटरों का निर्माण कराया जाएगा।
इन्द्रमोहन शर्मा, उपनिदेशक, आयुर्वेदिक औषधालय।