बीमा कंपनी ने कार पूरी तरह दुर्घटनाग्रस्त होने पर कार बीमित राशि सात लाख में से एक लाख पिचासी हजार रुपए सोल्वेज आर सी शुल्क के नाम से काट लिये थे। जिला उपभोक्ता आयोग सवाई माधोपुर ने इसे पूरी तरह गलत माना है। आयोग ने बीमा कंपनी को पूरी पूरी राशि को लौटाने के आदेश दिए है।
इसी प्रकार दूसरे मामले में भारतीय जीवन बिमा निगम ने उपभोक्ता की पंद्रह वर्ष तक बिमा प्रीमियम जमा कराई, लेकिन आखरी तीन माह की सात हजार पाँच सौ रूपये किश्त प्रीमियम सरकारी सेवा में ट्रांसफर अन्य जगह होने से जमा नहीं हुई। जब बिमा पूरी होने पर बिमा निगम ने दस गुना से भी ज्यादा राशी पचहत्तर हजार रूपये उन सात हजार पाँच सौ रूपये की किश्तों के बदले काटने को सेवा दोष माना है और ब्याज व क्षतिपूर्ति परिवाद सहित देने के आदेश जिला उपभोक्ता कोर्ट सवाई माधोपुर ने दिये है।
उल्लेखनीय है कि परिवादी ने विपक्षी भारतीय जीवन बीमा निगम में लगभग 15 वर्ष पूर्व एक बीमा पॉलिसी करवाई थी। जिसमें बीमा प्रीमियम राशि नियमानुसार परिवादी की सरकारी सैलरी में से हर महीने पच्चीस सौ रुपये काटी जा रही थी। परिवादी की बीमा पॉलिसी 12 सितम्बर 1999 से 23 सितम्बर 2019 तक थी। लेकिन जब विपक्षी कम्पनी द्वारा अठहत्तर हजार पचहत्तर रुपये काट कर परिवादी को भुगतान किया गया।
इस मामले में जब बीमा कम्पनी से जानकारी ली गई तो बताया गया कि 2014 में 3 माह की सैलरी में से परिवादी की प्रीमियम राशि पच्चीस सौ रुपये हर महीने के हिसाब से 3 माह के सात हजार पांच सौ रुपये प्रीमियम राशि जमा नहीं होने के कारण अठहत्तर हजार पचहत्तर रुपये काट लिए गए है। जो कि गलत है। जिस पर परिवादी ने जिला उपभोक्ता आयोग सवाई माधोपुर में परिवाद दर्ज करवाया था।
जिला उपभोक्ता आयोग ने मामले में सुनवाई करते हुए बीमा कम्पनी को आदेश दिए है कि परिवादी की 3 माह की राशि सात हजार पांच सौ रुपये काटकर शेष राशि सत्तर हजार पांच सौ पचहत्तर रुपये असल एवं परिवाद प्रस्तुति दिनांक से 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से लौटाए जाएं। साथ ही कोर्ट ने आदेश दिए है कि आर्थिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति होने पर परिवादी को दस हजार रुपये एवं परिवाद ब्याज पांच हजार रुपए अलग से देने के आदेश दिए है।
जिला उपभोक्ता आयोग सवाई माधोपुर द्वारा दिए गए आदेश पढ़ने के लिए क्लिक करें:-
Sawai Madhopur District Consumer Commission order