शिवाड़ क्षेत्र में बेरोकटोक धड़ल्ले से अवैध बजरी खनन किया जा रहा है। कस्बे के सारसोप चौराहे से मात्र शिवाड़ पुलिस चौकी 200 फीट की दूरी है जिसके सामने से अवैध बजरी से भरे डम्पर ट्रैक्टर निकल रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि अवैध बजरी खनन से भरे ट्रैक्टर-ट्रॉली डंपरों के आगे पीछे दो पहिया, चार पहिया वाहन में बैठ कर कुछ लोग हथियारों से लैस होकर चलते हैं। पहले बजरी से भरे वाहन केवल रात्रि में ही निकलते थे लेकिन प्रशासन की ओर से कई महीनों से कोई कार्यवाही नहीं करने से माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि दिन में भी कई वाहन मार्ग में देखें जा सकते है।
इसको देखते हुए आम लोगों में चर्चा रहती है कि पुलिस प्रशासन, उपखंड प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है। अब तो आमजन यह भी कहने लगा है कि प्रशासन वह बजरी माफिया के बीच सांठगांठ नजर आ रही है। देखने की बात यह की अवैध बजरी से भरे ट्रैक्टर-ट्राॅली, डंपर इतनी तेज गति से मार्गों पर दौड़ते हैं कि सड़क पर चलने वाले राहगीर या दोपहिया वाहन चालकों से गुजरते समय टकराने का डर सताता रहता है।
कस्बे से होने वाले बजरी परिवहन एवं नशा खोरी पर कोई अंकुश नहीं दिखाई देने तथा प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने के कारण अब आमजन रात्री में सड़क मार्ग से गुजरने मे डरने लगे है। ग्रामीणों का कहना है कि टापुर ग्राम पंचायत, एचेर, सारसोप, देवली, डीडायच क्षेत्र बनास नदी पेटे से बेरोक टोक धड़ल्ले से अवैध बजरी खनन व परिवहन किया जा रहा है। जो शिवाड़, सारसोप, टापुर पंचायत के मुख्य सड़क मार्ग से गुजरते हैं।
कभी-कभी सारसोंप टापुर से सीधे टापुर ढील बंद पेटा भूमि के नए गुप्त कच्चे मार्ग खेतों में बनाकर निकलते है। यह भी उल्लेखनीय है क राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश के बजरी अवैध खनन और परिवहन के मामले में प्रशासन की ओर से कार्यवाही नहीं करने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने कठोर टिप्पणी करते हुऐ कहा कि राज्य सरकार बजरी माफिया के खिलाफ कागजी अभियान चलाते हैं और जब कार्यवाही करने की बात आती है तो कुछ नहीं किया जाता इससे जाहिर होता है कि अफसर को कोई परवाह नहीं है।