सरकार डिजिटल और हाईटेक शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, पर देश में कई जगह बच्चों को छत के नीचे बैठकर शिक्षा मिलना मुश्किल है। कही बच्चों को पढ़ने के लिए किमी दूर जाना पड़ता है, तो कही स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं नहीं होती है। डिजिटल और हाईटेक शिक्षा को लेकर सरकार के दावे पर राजस्थान का एक स्कूल पोल खोल रहा है। राजस्थान के बाड़ेमेर में एक गांव में सरकार ने स्कूल को मंजूरी दे दी, पर स्कूल के लिए भवन का निर्माण करना भूल गई। इस स्कूल की तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। बाड़मेर से 25 किलो दूर शिवपुरा गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल की हालात यह है कि बच्चे झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं। यहां तक बच्चों को पीने के लिए पानी भी मौके पर उपलब्ध नहीं है, शिक्षिका खुद एक किमी दूर से मटके में बच्चों के लिए पानी लाती है।
शिक्षिका ने छप्पर रखवाया
दरअसल में सरकार से मंजूरी मिलने पर एक साल तक इस स्कूल को एक ग्रामीण को मिले प्रधानमंत्री आवास के एक कमरे में संचालित किया गया, लेकिन कुछ दिन पहले घर के मालिक ने छत की मरम्मत का कहकर कमरा खाली करवा लिया। इसके बाद कुछ दिन खुले आसमान में बच्चों की पढ़ाया गया, लेकिन भीषण गर्मी में 45 डिग्री तापमान की झुलसाने वाली गर्मी को देखते हुए स्कूल में एकमात्र शिक्षिका ने अपने पति और ग्रामीणों के सहयोग से एक छप्पर का निर्माण कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
तस्वीर वायरल होने पर जागा विभाग
करीब दो महीना तक इस छप्पर में स्कूल चलने के बाद स्कूल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसके बाद शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाकर एक बार फिर स्कूल को उसी पीएम आवास के कमरे में शिफ्ट करवा दिया, लेकिन इस कमरे के हालात यह हैं कि ऊपर सिर्फ पत्थर की पट्टियां लगाई हुई है। पक्की छत नहीं है, जिसके चलते बारिश के मौसम में बाहर जैसे कमरे के अंदर हालत हो जाते हैं। स्कूल की एक मात्र शिक्षिका ने कहा कि भले ही हालात कैसे हों, वह बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेगी। बच्चे देश का भविष्य हैं. खुद उसने बड़ी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद पढ़ाई करके आज शिक्षिका है। ऐसे अभावग्रस्त इलाकों में बच्चों को शिक्षा देने के लिए ऐसे में अपने कर्तव्य से हटना ठीक नहीं है। जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग को कई बार स्कूल के भवन के लिए अवगत करवा दिया गया है। जब स्कूल का निर्माण होगा तो देखा जाएगा, लेकिन तब तक बच्चों की पढ़ाई रुकनी नहीं चाहिए। स्कूल के भवन निर्माण को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि स्कूल के भवन निर्माण के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करवाई गई थी, जिसको लेकर स्कूल निर्माण में देरी हुई, लेकिन अब ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को जल्द जमीन आवंटन की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में जल्द ही स्कूल हेतु भवन निर्माण का कार्य शुरू करवाया जाएगा। वहीं उन्होंने बिना छत के स्कूल के सवाल पर माना कि स्कूल के लिए जो व्यवस्थाएं होनी चाहिए, वह नहीं हैं. लेकिन जब तक भवन निर्माण नहीं होता तो अस्थाई रूप से पढ़ाई जारी रखना जरूरी है। इसलिए हमने निजी भवन में स्कूल चलाने की व्यवस्था करवा रखी है।