तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा की सदस्यता कैश के बदले सवाल पूछने के मामले में चली गई है। लोकसभा में पारित प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार कर लिया गया और उन्हें इससे पहले बोलने का मौका नहीं मिला। आज दोपहर 12 बजे ही महुआ मोइत्रा पर एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें उन्हें संसद से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके बाद सदन में भारी हंगामा हुआ और फिर दो बजे कार्यवाही शुरू हुई तो फिर करीब एक घंटे बहस चली और वोटिंग के बाद महुआ मोइत्रा को निष्कासित कर दिया गया। सदन के फैसले के बाद महुआ मोइत्रा की तीखी प्रतिक्रिया आई है।
![Mahua Moitra's MP lost in cash for query case](https://vikalptimes.com/wp-content/uploads/2023/12/Mahua-Moitras-MP-lost-in-cash-for-query-case.jpg)
उन्होंने कहा कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। मैंने अडानी का मुद्दा उठाया था और मुझे उसकी सजा मिली है। वहीं स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि यह तो पुरानी ही परंपरा है, जो आपके समय से चली आ रही है। मैं तो उसका ही पालन कर रहा हूं। दरअसल 2005 में सोमनाथ चटर्जी के समय 10 सांसदों को कैश फॉर क्वेरी के मामले में निकाला गया था। तब भी आरोपी सांसदों को बोलने का मौका नहीं मिला था। हालांकि यहां बता दें कि सदन से एक बार निष्कासन का यह मतलब नहीं है कि संबंधित सांसद फिर चुनाव नहीं लड़ सकता। महुआ मोइत्रा 2024 में भी लोकसभा का चुनाव लड़ने का अधिकार रखती हैं। ऐसे में देखना होगा कि वह 2024 में चुनाव लड़ती हैं या नहीं।